अयोध्या मामला : इन दलीलों के आधार पर राम मंदिर बनने का रास्ता हुआ साफ
नई दिल्ली/ बरसों पुराने अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 1045 पन्नों का अपना फैसला सुना दिया। 16 अक्तूबर तक लगातार 40 दिनों की सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनी। सुप्रीम कोर्ट के लंबे फैसले में कुछ ऐसे तर्क रहे, जिनके आधार पर अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हुआ।
खाली जमीन पर नहीं बना था मंदिर
- हम एएसआई की खुदाई में मिले सबूतों की अनदेखी नहीं कर सकते
- बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी
- मस्जिद के नीचे विशाल संरचना थी, जो कलाकृतियां मिली हैं, वह इस्लामिक नहीं थीं।
बाहरी चबूतरे पर हिंदू करते थे पूजा
- हिंदू बाहरी परिसर में पूजा किया करते थे और मुस्लिम अंदर नमाज पढ़ते थे
- हालांकि गर्भगृह पर भी हिंदू अपना दावा करते थे
- मुस्लिम पक्ष यह दावा नहीं कर पाए कि 1857 से पहले मुस्लिम यहां नमाज पढ़ा करते थे
अंग्रेजों के काल में भी पूजा
- अंग्रेजों के शासनकाल में राम चबूतरा और सीता रसोई में पूजा हुआ करती थी
- इस बात के सबूत हैं कि हिंदुओं के पास विवादित जमीन के बाहरी हिस्से का कब्जा था
व्यक्तिगत आस्था का सवाल
- हिंदू इसे भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं। उनकी अपनी धार्मिक भावनाएं हैं।
- हिंदुओं का मानना है कि भगवान राम केंद्रीय गुंबद के नीचे जन्मे थे। यह व्यक्तिगत आस्था की बात है।