सरकारी एंबुलेंस होने के बावजूद कर्मचारी कमीशन के चक्कर में कटवा देते हैं जेब मरीजों की

सरकारी एंबुलेंस होने के बावजूद कर्मचारी कमीशन के चक्कर में कटवा देते हैं जेब मरीजों की

रायला। रायला का राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र यूं तो डिलीवरी के मामले में राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त कर चुका है। हॉस्पिटल में कार्यरत कर्मचारियों की कार्यशैली पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता क्योंकि वह समर्पित होकर राजकीय सेवा को दिन रात ईमानदारी से मेहनत कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। सहज डिलीवरी हो जाने की खुशी में परिजन अगर इनाम दे जाए तो रिश्वत लेने जैसा कोई अपराध नहीं होता। अब चाहे डिलीवरी पर आने वाले परिजनों के पास पैसा हो या ना हो इनाम तो देना ही पड़ेगा। 100 200 से काम नहीं चलेगा। 500 से  2000 का मुंह मांगा इनाम देना ही पड़ेगा।

क्योंकि  डिलीवरी रायला के राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सहज और आसान तरीके से करवाई है ज्यादा तकलीफ नहीं आने दी नहीं यहां से रेफर होने की जरूरत पड़ी।

हां जरूरत पड़ सकती है जब आप नजराना पेश करने की स्थिति में ना हो।

नजराना पेश करने की स्थिति में ना होने पर डिलीवरी पर आई हुई महिला के परिजनों को अचानक कह दिया जाता है कि मामला गंभीर है डीलीवरी यहां पर नहीं हो पाएगी, तुरंत ही आप यहां से अन्यत्र ले जाओ। अन्यत्र ले जाने के लिए भी समय की बाध्यता दे दी जाए तो डिलीवरी होने वाली महिला के परिजन 104 एंबुलेंस ढूंढते हैं। चिकित्सा स्टाफ के कर्मचारी एंबुलेंस खराब होने या कहीं गई हुई कह कर प्राइवेट वाहन किराये पर ले जाने की राय देते हैं। जब प्राइवेट एंबुलेंस मोल भाव में नहीं जमती है तो प्राइवेट अस्पताल में ले जाने की राय दे देते हैं।

यदि प्राइवेट टैक्सी भाड़े पर गई तो कर्मचारियों का कमीशन तैयार।

और  प्राइवेट हॉस्पिटल में डिलीवरी पर गए तो उस हॉस्पिटल से  कमीशन तैयार। राजकीय चिकित्सा कर्मचारियों की तो दोनों तरफ से मौज ही मौज है।

अब आपको यह बता देते हैं कि रायला में दो 104 एंबुलेंस लगा रखी है। दोनों 104 एंबुलेंस डिलीवरी पर लाने और ले जाने का काम करने के लिए सरकार ने ठेके पर लगा रखी है। वो खड़ी रह जाती है। ठेकेदार को खड़ी एंबुलेंस  के मासिक पैसे मिल जाते हैं।

ठेकेदार यूं ही एंबुलेंस खड़ी नहीं रख सकता।

खड़ी-खड़ी का पैसा मिलता हो तो कमीशन देने में क्या हर्ज।

 स्टाफ के  भी चांदी, ठेकेदार के भी चांदी ,प्राइवेट हॉस्पिटल के भी चांदी। हॉस्पिटल के कर्मचारियों के चांदी की चांदी।

फिर क्यों चले सरकारी एंबुलेंस।

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