शरीर की खुद को ठीक करने की क्षमता मजबूत करती है होम्योपैथी, कई रोगों का हो सकता है उपचार

शरीर की खुद को ठीक करने की क्षमता मजबूत करती है होम्योपैथी, कई रोगों का हो सकता है उपचार

होम्योपैथी, वर्षों से प्रयोग में लाई जा रही प्रभावी चिकित्सा पद्धति है, इसका 200 साल पुराना इतिहास रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये उपचार प्रतिक्रिया को उत्तेजित करने और शरीर की खुद को ठीक करने की क्षमता को मजबूत करने वाली पद्धति है। कई प्रकार की बीमारियों के उपचार में होम्योपैथी  को प्रयोग में लाकर लाभ प्राप्त किया जाता रहा है। 1700 के अंत में जर्मनी में इस चिकित्सा को विकसित किया गया था। यह कई यूरोपीय देशों में आम है, भारत में भी होम्योपैथी को प्रयोग में लाकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जाता रहा है। 

होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. सैमुअल हैनिमैन की जयंती के उपलक्ष्य में हर साल 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य  होम्योपैथी चिकित्सा के बारे में लोगों को जागरूक करना और इस वैकल्पिक प्रणाली के उपयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाना है।

 

शरीर की सुरक्षा प्रणाली को ट्रिगर करती है ये चिकित्सा

विशेषज्ञ कहते हैं, होम्योपैथी के पीछे एक बुनियादी धारणा है शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली को ट्रिगर करके बीमारियों का उपचार करना। उदाहरण के लिए प्याज के कारण आपकी आंखों में पानी आ जाता है, इसीलिए इसका उपयोग आंखों की एलर्जी के उपचार में किया जा सकता है। होम्योपैथी यह भी मानती है कि खुराक जितनी कम होगी, दवा उतनी ही अधिक शक्तिशाली होगी। 
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कई प्रकार की समस्याओं में होता रहा है उपयोग

कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज वर्षों से इस वैकल्पिक चिकित्सा के माध्यम से करके लाभ प्राप्त किया जाता रहा है। एलर्जी, माइग्रेन, अवसाद ,क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम, रूमेटाइड आर्थराइटिस, आंत की बीमारी और प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम जैसी समस्याओं में होम्योपैथी के उपयोग को फायदेमंद माना जाता है।  

गंभीर स्थितियों में भी लाभप्रद है होम्योपैथी?

हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अस्थमा, कैंसर और हृदय रोग जैसी जानलेवा बीमारियों या आपातस्थिति में होम्योपैथिक दवा के लाभ नहीं हैं। कुछ होम्योपैथिक उत्पादों जिन्हें "नोसोड्स" कहा जाता है इसको कई देशों में वैक्सीन के विकल्प के तौर पर भी प्रयोग में लाया जाता रहा है, लेकिन इसकी प्रभाविकता साबित करने के लिए पर्याप्त शोध नहीं है।

इसके अलावा होम्योपैथी चिकित्सा कितनी प्रभावी हो सकती है, इसको लेकर भी वैज्ञानिकों का मिला-जुला मत देखा जाता रहा है।


 

 

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