प्यार ~ जीवन का सबसे ख़ूबसूरत एहसास

प्यार ~ जीवन का सबसे ख़ूबसूरत एहसास

 प्यार को प्रेम, प्रीति, मोहब्बत, उल्फ़त, इश्क़, लव आदि शब्दों से भी पुकारा जाता है। प्यार की अभिव्यक्ति के लिए भाषा बेमानी होती है। तभी तो गूँगा-बहरा व्यक्ति भी प्रेम को महसूस कर लेता है। गहन प्यार, मौन में बेहतर तरीके से अभिव्यक्त होता है। इश्क़ के लिए चेहरे पर आँखों का होना भी अनिवार्य नहीं है। यही कारण है कि नेत्रहीन व्यक्ति को भी प्यार का एहसास होता है। प्यार, हृदय की अनुभूति का विषय है। सभी प्राणियों की उपस्थिति इस संसार में प्यार का प्रमाण भी है और परिणाम भी। प्यार सृष्टि के सभी जीवों के लिए अपरिहार्य है मगर मानव मात्र के लिए प्यार हृदय की एक उदात्त भावना है। प्यार जीवन का सबसे ख़ूबसूरत एहसास है। 
    प्यार का मायना समझाने के लिए मनीषियों ने बहुत प्रयास किये हैं मगर प्यार को कभी भी पूरी तरह परिभाषित नहीं किया जा सका क्योंकि एहसास को अभिव्यक्त करने के लिए शब्द कभी भी पूरी तरह समर्थ हो ही नहीं सकते। प्यार की अनुभूति को केवल अपने मन में महसूस किया जा सकता है।
    माँ किसी भी व्यक्ति के जीवन का पहला प्यार होती है। माँ अपनी कोख में हमारे वज़ूद का एहसास करते ही हमें अथाह प्यार करने लगती है।
    माँ ने नहीं देखा था, हमारा रंग रूप आकार / मगर हमारे वजूद को, माँ ने कर लिया था स्वीकार / बिन देखे ही माँ हमसे, करने लगी थी दुलार / इसी को कहते हैं, अंधा होता है प्यार।
    माता-पिता अपनी संतान को जब प्यार करते हैं तो उसमें वात्सल्य-भाव होता है। भाई-बहिन के आपसी में प्यार में स्नेह का भाव होता है।
    एक इंसान दूसरे इंसान की ओर आकर्षित होकर उसे अपना हमराज़, हमसफ़र, हमदम, जीवन-साथी बनाने के ख़्वाब देखने लगता है तो उसके दिल में उमड़ती अनुभूतियों को लौकिक अर्थों में प्यार के नाम से पुकारा जाता है। सामान्यतः प्यार को इसी अर्थ में सर्वाधिक समझा जाता है। प्यार उम्र का मोहताज नहीं होता है, न ही यह जाति-सम्प्रदाय, पद-हैसियत, राष्ट्र-धर्म की सीमाएं जानता है। प्यार किसी भी व्यक्ति की नितान्त निजी अनुभूति होती है जिसकी प्रकृति और परिणाम दूसरे की अनुभूति से सर्वथा भिन्न होते हैं।
    बहुत ख़ुशनसीब होते हैं वे लोग जिन्हें किसी से प्यार होता है या किसी का प्यार मिलता है। प्रेम अपनी प्रारम्भिक अवस्था में रूमानी होता है मगर जब प्यार रूमानी से रूहानी हो जाता है तो प्यार की सच्चाई, इश्क़ की गहराई, प्रेम की पावनता अपने चरम पर होती है।
    किसी एक इन्सान को दूसरे इन्सान से प्यार होने पर जिंदगी बहुत ही हसीन लगती है, मन में नयी उम्मीदें जगती हैं, खुली आँखों में ख़्वाब सजने लगते हैं, दिल मुलाकात को बेताब हुआ जाता है, हर पल नज़रें अपने प्रिय को ढूंढती रहती है, हिये में हर्ष की हिलोरें उठने लगती हैं और बेताब मन में अजीब-सी ख़ुमारी छायी रहती है। प्रेमी-युगल को अपने मन की मधुरता का प्रतिबिम्ब प्रकृति में नज़र आता है। प्रकृति में उसे अपने प्रेम की प्रतिध्वनि सुनायी देती है। प्रीत में भीगे मन को कुदरत में ही नहीं अपितु अपने अन्तस में भी गुल खिले हुए नज़र आते हैं। प्यार से सराबोर व्यक्ति का जीवन मधुमास हो जाता है। यत्र-तत्र-सर्वत्र उसे अपने प्रिय की छवि दिखाई देती है, वह इश्क़ के एहसास में आकंठ डूबा रहता है। अपना दिल हार कर जब कोई प्रेमी अपना प्यार पा लेता है तो उसके मन की ख़ुशी विश्व-विजय से भी बड़ी होती है।
    हृदय की ये अनुभूतियाँ जीवन को नया मोड़ देती है। अपने प्रिय की चाहत जीवन की बगिया को महका देती है। मगर---? यह दुनिया, जो प्रेम करने के लिए कहती तो है, किन्तु दो दिलों को प्रेम करने नहीं देती। प्यार पर रस्मो रिवाजों का पहरा बैठा दिया जाता है तो विवश प्रेमी परम्पराओं की बेडि़यों में क़ैद होकर रह जाते हैं। तब मन मायूस हो जाता है, अधरों की मुस्कान छिन जाती है और दिल तड़प उठता है। विरह की इस आग में दो प्रेमी पल-पल जलते रहते हैं। संयम, साहस और समझदारी से काम लेने वाले प्रेमी जुदाई का ज़हर पीकर भी अपनी उम्मीदें टूटने नहीं देते, अपनी चाहत को वे मिटने नहीं देते। दुनिया से टकराने के लिए वे ख़ुद को सक्षम बनाते हैं और अपनी मोहब्बत के लिए जान लड़ा देते हैं। प्यार करने वालों के लिए यह दौर आग के दरिया को पार करने जैसा होता है। जुदाई की इस ज्वाला में चलकर और जलकर जब दो प्रेमी फिर से मिलते हैं तो हृदय की अनुभूतियों के समक्ष शब्दकोशों के सारे शब्द बौने पड़ जाते हैं। मिलन के बाद जुदाई और उसके बाद पुनर्मिलन, अवनि-अम्बर के मिलन जैसा लगता है। जीवन साथी- Soulmate बनकर प्रेमी दिल की डगर पर जीवन के ख़्वाबों को हक़ीक़त में बदलने निकल पड़ते हैं।
    जीवन का पथ कभी भी समतल नहीं होता, न ही उस पर हमेशा पुष्प बिछे मिलते हैं। जिंदगी की टेढ़ी-मेढ़ी कंटककीर्ण राहों पर उतार चढ़ाव के बीच ही जीवन साथी- ‘सोल मेट’ एक दूसरे का हाथ मजबूती से थामे रहते हैं। वक़्त की आँधियाँ नयी चुनौतियां पेश करती हैं और इश्क़ के आशियाने को उजाड़ने पर आमादा रहती हैं मगर गहरी वफ़ा और विश्वास की मज़बूत बुनियाद पर दिलों का रिश्ता टिका रहता है। हक़ीक़त की दुनिया में वैचारिक टकराव आपसी तकरार में बदलने लगता है तो जीवन में खट्टापन भी महसूस होता है। मगर प्यार में समर्पण व सच्चाई के आगे अहम-वहम तिरोहित हो जाते हैं। प्रगाढ़ प्रेम करने वाले प्रेमी एक दूसरे की अच्छाइयों और ख़ासियतों को अपनी ताक़त बनाते हैं तो प्यार के अटूट बंधन के आगे बाधाएँ हार जाती हैं। दिल की जमीं पर जज़्बातों के बीज उग आते हैं और प्यार का ‘अंकुर’ प्रस्फुटित होता है, तब लगता है जैसे कदमों में जहान है और बाँहों में आसमान है।
    प्यार के सप्तरंगी एहसासों के गुलिस्ताँ में प्रीत का हर परिंदा कहता है ‘मन मेरा गुलमोहर हुआ’। प्यार की इस फुलवारी में खिले हुए गुलाब, गुलमेहन्दी, गुलदाऊदी, गुलबहार, गुड़हल, गुलमोहर, गेंदा, नरगिस, नलिनी, नील कमल, चम्पा, चमेली, छुई-मुई, जूही, कमल, कामिनी, कमलिनी, कुमुदिनी, केवड़ा, मोगरा, सदाबहार, सूरजमुखी, रजनीगंधा, रात-रानी, हरसिंगार के फूल मन को महकाते हैं। इस दौड़ती दुनिया में आज जहाँ लोग प्यार को कपड़ों की मानिंद बदलने लगे हैं, वहाँ वफ़ा, समर्पण और एकनिष्ठा दुर्लभ हैं। मगर दुर्लभ चीजों का अपना महत्व है, दुर्लभ्य हमेशा अनमोल होता है।
    जिसे जीवन में अपना पहला प्यार- ‘सोल मेट’ नहीं मिला पाता है उनके हृदय का एक कोना अपने ‘सोल मेट’ के लिए हमेशा ख़ाली रहता है। दीवाने की भाँति अपने दिलबर को चाहने और पाने के लिए भावनाओं के अनेक सोपानों से गुजरते हुए प्रेम-डगर के पथिक अपने प्यार के अहसास कभी भी थकते नहीं हैं। 
      चंद्रगुप्त-हेलेना, सम्राट अशोक-देवी, विल्हण-रतिलेखा, पृथ्वीराज- संयोगिता, बाजबहादुर- रूपमती, बाजीराव-मस्तानी, सलीम-अनारकली, औरंगजेब- जैनाबाई, शाहजहां-मुमताज, सोहनी-महिवाल, हीर-रांझा, रोमियो-जूलियट, शीरीं-फरहाद, लैला-मजनूं की अमर प्रेम कहानियाँ प्यार करने वालों को सदियों से न केवल प्रेरणा देती रही हैं बल्कि प्रेम-डगर की मुश्किलों और चुनौतियों से आगाह भी करती रही हैं। कोई स्वीकार करे या नहीं, मगर हर इंसान के दिल में एक प्रेम कहानी अवश्य दबी रहती है। हर व्यक्ति की प्रेम कहानी भले ही इतिहास में दर्ज नहीं हो मगर हर व्यक्ति के दिल में प्रेम का इतिहास अवश्य दर्ज होता है। वे लोग विरले और ख़ुशनसीब होते हैं जिन्हें उनका पहला प्यार अपना ‘सोल मेट’ मिल पाता है।

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