सात फेरों एवं विधि विधान से हुआ तुलसी विवाह

सात फेरों एवं विधि विधान से हुआ तुलसी विवाह
चारभुजा नाथ दर्जी समाज मन्दिर से आई बारात

गुरला। गाजेबाजे के साथ सात फेरों के बाद ठाकुरजी ने माता तुलसी संग रचाया विवाह। जिसका नारायण लाल, बंशी लाल, प्रहलाद, केलाश माली ने गुरुवार को तुलसी विवाह का आयोजन करवाया। प्रकृति व धर्म से जुड़े इस विवाह समारोह के दौरान आस्था का प्रतीक तुलसी विवाह में महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया।

तुलसी विवाह की तैयारी चार पांच दिन पहले से ही शुरू कर दी थी। साथ ही भगवान का सुंदर श्रृंगार कर उन्हें आकर्षक परिधान पहनाए गए। तुलसी विवाह का आयोजन आम विवाह की भांति नारायण लाल, बंशी लाल माली के घर घाटी के बालाजी मंदिर प्रांगण में किया गया। मोहल्ले की महिलाएं बैंड बाजे के साथ भगवान सालिगराम जी व ठाकुरजी के रथ के साथ नाचते-गाते पुर घाटी के बालाजी पहुंची। वहीं वधू पक्ष की महिलाओं ने भजन व गीत गाकर ठाकुर जी का स्वागत किया और विधि-विधान के साथ माता तुलसी और सालिगराम जी का विवाह संपन्न करवाया। वरमाला की रस्म के बाद हवन वेदी के चारों ओर तुलसी के पवित्र पौधे व सालिगराम जी को गोद में लेकर सात फेरे कराए गए। इस दौरान हवन पूजन का भी आयोजन किया गया। महिलाओं ने तुलसी माता को उपहारों के साथ विदाई दी। भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया। परंपरागत विवाह के लिए तुलसी के पौधे को साड़ी व आभूषण पहना आकर्षक ढंग से सजाया गया। वहीं ठाकुर जी के साज-सज्जा में भी किसी प्रकार की कोई कमी नहीं देखी गई। बदलते दौर के साथ रीति रिवाजों में भी भव्यता की झलक साफ देखने को मिली।

भगवान सालिगराम जी की बारात में गुरुवार को बैंड बाजो के साथ माली समाज की महिलाए, पुरुष और बच्चे नाचते हुए पैदल ही घाटी के बालाजी पहुंचे।

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