भीलवाड़ा। सुपाŸवनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हाऊसिंग बोर्ड शास्त्रीनगर में पर्यूषण के पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म पर बताते हुए पं. विवेक शास्त्री ने बताया कि क्रोध का अभाव होना ही उत्तम क्षमा धर्म है। क्रोध के निमित्त उपस्थित होने पर भी जो क्रोध नहीं करता उसके क्षमा धर्म प्रकट होता है। क्रोध का जवाब क्रोध से देने से स्वयं का ही अहित होता है, इसलिये क्षमा वीरस्य भूषणम् कहा जाता है जहां पर क्रोध है वहाँ शत्रु पैदा होते हैं क्षमा है वहां मित्र पैदा हो जाते हैं, अत: क्रोध नहीं करना चाहिये। च्च्उत्तम क्षमा जहाँ मन होई, अंतर बाहर शत्रु ना कोई। जनसंपर्क मंत्री भागचंद पाटनी ने बताया कि प्रात: समाज द्वारा जुलुस के साथ घट यात्रा निकाली गयी। गुलाबचन्द, मनीष, नीरज शाह परिवार को ध्वजारोहण, मुख्य कलश स्थापना का लाभ राकेश, शशि, हिमांशु, आकांक्षा पाटनी, सौधर्म इन्द्र का लाभ विनोद कुमार, मंजू गोधा एवं मण्डप उद्घाटन का सौभाग्य श्रीमती सुशीला पाटनी, अखण्ड दीप स्थापना टीकमचन्द शकुन्तला छाबड़ा परिवार, मुख्य शांति का सौभाग्य प्रकाश चन्द्र कैलाश चन्द्र गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ। पूजा का संचालन पं. पदमचन्द काला ने किया।
मध्यान्ह में पं. विवेक शास्त्री के सानिध्य में तत्वार्थ सूत्र का वाचन, सामायिक, प्रतिक्रमण शास्त्र स्वाध्याय किया गया। सांयकाल की जिनेन्द्र-भगवान की सामुहिक मंगल आरती हुई। सांय सांस्कृतिक कार्यक्रम की श्रृंखला में धार्मिक अन्ताक्षरी प्रतियोगिता महिला समाज द्वारा आयोजित हुई।