-ऊंचाई पर जाकर पुष्पवर्षा, लेकिन हादसा हुआ तो जिम्मेदार कौन?
भीलवाड़ा (नरेश ओझा)। विधानसभा चुनाव में इस बार गांव-गांव में नेताओं के चुनावी स्टंट के रूप में बुलडोजर इस बार सरकार बनाने में अहम रोल अदा करने वाला है! ऐसा इसलिए है क्यों कि चुनाव में बुलडोजर का प्रयोग एक स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है। प्रत्याशी की रैली में पार्टी के चिन्ह से रंगे वाहन हो या ना हो लेकिन बुलडोजर जरूर दिखाई दे रहा है। बुलडोजर जेसीबी के पलड़े में बैठ हवा झूलकर पुष्पवर्षा कर रहे प्रत्याशियों के समर्थक बिना अपनी जान की परवाह किए 25 से 30 फिट की ऊंचाई पर जाने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। वहीं पुलिस व प्रशासन के सामने यह सब स्टंट होने के बावजूद जिम्मेदारों ने मानों आंखे मूंद रही है। शायद ये किसी अनहोनी के इंतजार में है, जब किसी प्रत्याशी का समर्थक पुष्पवर्षा करते हुए ऊंचाई से गिर जाए।
चुनाव शुरू होते ही जिले की सातों विधानसभा क्षेत्रों में सडक़ों पर वाहनों का लम्बा काफिला हर जगह देखने को मिल ही रहा है। लेकिन प्रत्याशी माहौल अपने पक्ष में दिखाने के लिए हर सम्भव प्रयास में लगे है। वैसे कार और दुपहिया वाहनों का काफिला तो हर चुनावों में दिख जाता है लेकिन इस बार यूपी की तर्ज पर बुलडोजर ने भी प्रदेश के चुनावों में एंट्री ले ली है।
आमतौर पर चुनाव रैली में कार और बाइक रैली का आयोजन होता है, लेकिन इस बार जेसीबी का भी के्रज चल गया है। प्रत्याशियों के समर्थक बुल्डोजर को बुक करा रहे है। बुल्डोजर से फूल बरसाने का चलन हो गया है। चुनाव जीतने के लिए अपना दमखम दिखा रहे प्रत्याशी जेसीबी को अपनी शान समझ रहे हैं। चाहे रैली हो, या जनसम्पर्क, सभी जगहों पर जनप्रतिनिधि जेसीबी को अपने वाहनों में शामिल कर रहे हैं। पिछले दिनों से बुलडोजर की डिमांड इतनी बढ गई है कि अब नेताओं को बुलडोजर वेटिंग पर मिल रहा है।
इसके अलावा रैली दौरान सभा करने के लिए भी बुल्डोजर काम लिया जा रहा है। वहीं जेसीबी की बढ़ती डिमाण्ड के बीच कई प्रत्याशियों ने आगे प्रचार के लिए एडवांस में ही बुकिंग करा रखी है। जिसमें प्रत्याशियों को एक से दो दिन का समय दिया जा रहा है। वहीं शाम को छह बजे से आठ बजे तक के समय को पीक टाइम मान कर अतिरिक्त चार्ज भी लिया जा रहा है।
एक घंटे से लेकर दिन भर तक का अलग रेट
चुनावों में जेसीबी की बढ़ती डिमांड पर इसके किराए में भी इजाफा कर दिया है। आमतौर पर जहां जेसीबी 700-900 रुपए प्रति घंटे में मिल जाती थी, वह अब एक हजार रुपए से 1500 रुपए तक प्रतिघंटे में किराए से मिल रही है। दिन भर का छह हजार रूपए से नौ हजार रुपए तक का किराया लिया जा रहा है। इसके अलावा टेलहेंडलर्स जेसीबी का किराया दो हजार रुपए प्रति घंटे से हिसाब से लिया जा रहा है।
यूपी से मिली पहचान
राजनीति से जुड़े लोगों ने बताया कि पहले चुनावों में प्रदेश में जेसीबी का कोई राजनेता उपयोग नहीं करता था, लेकिन बदलते समय के साथ सबसे पहले बुल्डोजर को पहचान उत्तर प्रदेश से मिली, जिस तरह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले तो अपराधियों के घरों को ढहाने में बुलडोजर का इस्तेमाल किया। इसके चलते लोग उन्हें बुलडोजर बाबा भी कहने लगे।
फिर चुनावों में भी बुलडोजर से प्रचार कर सत्ता हासिल की, इसके बाद से बाकि राज्यों में भी बुल्डोजर को चुनावी स्टंट के रूप में देखा जाने लग गया। अब अन्य नेताओं को भी यह महसूस हो गया कि बुलडोजर सिर्फ घर ढहाने के काम ही नहीं आता है, बल्कि इससे सरकार भी बनाई जा सकती है। वैसे यह बुलडोजर मॉडल उत्तर प्रदेश या राजस्थान ही नहीं पूरे देश में लोकप्रिय हो चुका है।