पारोली (बबलू पाराशर)। कोरोना की सख्ती असर अब गांवों में भी दिखने लगा है। सावों के चलते खूब शादियां हो रही हैं। अक्षय तृतीया और पीपल पूनम मई में है जबकि भड़ल्या नवमी और देवशयनी एकादशी जुलाई में है। इस तरह 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ ही शादियां थम पाएगी। तब तक कोरोना पर लगाम लगाना सरकार के लिए एक चुनौती होगी। शादियों पर सरकार की सख्ती का असर शहरों तक ही सीमित नजर आ रहा है। कस्बों में प्रशासन और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर कोरोना प्रोटोकॉल तोडऩा आम बात है। गांव वाले शादियों के सामान की खरीद फरोख्त छोटे शहरों और कस्बों से ही करते हैं। शादियों में कपड़ों और ज्वैलरी की खरीद सबसे महत्वपूर्ण होती है। जब भी गांव वाले खरीदारी करने आते हैं तो एक समूह बनाकर आते हैं। खरीदारी करने वाले 3-4 लोग होते हैं । ऐसी स्थिति में उनके मुंह पर ना तो मास्क होता है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग। कोरोना के चलते गांवों में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। विवाह समारोह स्थल की बजाय खेतों में किया जा रहा है। जेसीबी से खेतों को समतल करा लिया जाता है। वहीं पर शामियाना और कनातें लगाकर लोगों को भोजन कराया जा रहा है। यहां भी कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई जा रही है।