भीलवाड़ा। जिनशासन के साथ मानव सेवा को समर्पित प्रवर्तक राजस्थान केसरी पन्नालाल म.सा. के जैन समाज पर अनंत उपकार है। परम्परा भेद की दीवार तोड़ वह जोडऩे वाले महान संत बने। महापुरूष दीवार का नहीं द्वार का कार्य करते है। जो भी उनकी निश्रा में आया वह अपनी मनोकामना पूर्ण करके लौटा। अजैनियों को जिनशासन के साथ जोडऩे का अनुपम कार्य करके मिसाल कायम की। ये विचार चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में रविवार को साध्वी डॉ. दर्शनप्रभा ने पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के छठे दिन प्रवर्तक पन्नालाल म.सा. की 135 वीं जयंति समारोह में व्यक्त किए। जयंति के अवसर पर गुरू भक्ति के भाव के साथ श्रावकों ने भिक्षु दया भी की। पर्युषण के छठे दिवस प्रवचन का विषय नशा नाश का कारण पर भी साध्वीवृन्द ने विचार व्यक्त किए। प्रवचन के शुरू में अंतगड़ सूत्र का वाचन डॉ. चेतनाश्री ने एवं दोपहर में कल्पसूत्र का वांचन दीप्तिप्रभा म.सा. किया। धर्मसभा में साध्वी दर्शनप्रभा ने कहा कि हमे पन्ना गुरूवर से प्रेरणा लेते हुए मालिक नहीं माली बनने के लिए कार्य करना है। समाज ओर परिवार के माली बनेंगे तो बुराई का प्रवेश नहीं होगा ओर मालिक बने तो बुराई आए बिना नहीं रहेगी। हमे जन्म से नहीं कर्म से भी जैन बनने की जरूरत है। पन्ना गुरूवर पूरे जैन समाज के संत थे लेकिन आज बांटते कम बंटवारा ज्यादा किया जा रहा है ओर सभी को अपना मानने वालों को भी तेरे-मेरे की लकीरे खींच छोटा मत बनाओं। साध्वी डॉ. समीक्षाप्रभा ने कहा कि पन्ना गुरूवर ने जीवन भर नशे से दूर रहने की प्रेरणा प्रदान की। नई पीढ़ी को नशे की प्रवृति से बचाने के लिए स्वाध्याय व जिनवाणी से जोडऩा जरूरी है। धर्मसभा में नशा नाश का कारण विषय पर विचार व्यक्त करते हुए साध्वी समीक्षाप्रभा ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को सप्त कुव्यसन त्याग का संकल्प करने की प्रेरणा दी। संकल्प महासाध्वी इन्दुप्रभा ने कराया।
धर्मसभा में सुश्रावक शांतिलाल खमेसरा, मुकेश डांगी, अनिल विश्लोत, ज्ञानचंद तातेड़, लक्ष्मीलाल कुकड़ा, पुष्पा कावडिय़ा, नवीन नाहर, वैरागन मोना, अनिता, विनीता, शिवम, दर्शिका कुमठ ने विचारों व भजनों के माध्यम से पन्ना गुरूवर व पर्युषण आराधना के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की।
धर्मसभा में लक्की ड्रॉ के माध्यम से 11 भाग्यशाली श्रावक-श्राविकाओं को पुरस्कृत किया गया। पर्युषण के छठे दिन प्रार्थना, प्रवचन एवं नवकार मंत्र जाप में लक्ष्मणचन्द्र तातेड़़ परिवार की ओर से प्रभावना का वितरण किया गया। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा, मंत्री सुरेन्द्र चोरडिय़ा एवं पदाधिकारियों द्वारा किया गया। धर्मसभा में भीलवाड़ा शहर व आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे सैकड़ो श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।
श्रावकों ने भिक्षु दया करके पेश की गुरू भक्ति की मिसाल
मानव सेवा को समर्पित पन्ना गुरू की जयंति पर उनके प्रति आस्थावान कई श्रावकों ने भिक्षु दया करके गुरू भक्ति की मिसाल पेश की। इसके तहत रविवार का पूरा दिन ऐसे श्रावकों ने श्रमण (संत) जीवन जीया। संत वेश में वह नंगे पैर आहार लेने के लिए घर-घर पहुंचे ओर जो मिला उसे लाकर समूह रूप में उसे ग्रहण किया। इस दौरान पूरा दिन संत जीवन की क्रियाओं की पालना करते हुए धर्म आराधना में बिताया। आहार लाते समय संत वेश में बच्चों व युवाओं को घरों के बाहर घूमते देख आसपास के लोग आश्चर्य में पड़ गए जब मालूम चला कि ये भिक्षु दया व्रत है तो उन्होंने श्रद्धा से मस्तक झुका दिया।