भीलवाड़ा (हलचल)। कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा पर मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मन्त्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित लाभप्रद डेयरी, कृषि एवं पशुधन प्रबन्धन के अन्तर्गत स्वच्छ दूध उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन विषय पर तीन दिवसीय कृषक प्रशिक्षण 10 से 12 जनवरी 2022 को आयोजित किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सीएम यादव ने बताया कि राजस्थान पशुधन सम्पदा के क्षेत्र में देश के कई राज्यों से अग्रणी है। यहाँ देश की कुल पशुधन सम्पदा का 11 प्रतिशत पशुधन पाया जाता हंै जिनमें ऊँट एवं बकरियाँ सर्वाधिक है। राजस्थान का भैंस पालन में दूसरा एवं भेड़ पालन में तीसरा स्थान है। डॉ. यादव ने बताया कि प्रशिक्षण का उद्देश्य दूध उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन की जागरूकता को बढ़ाना है।
केन्द्र के प्रोफेसर डॉ. के. सी. नागर ने बताया कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने के सपने को तभी साकार किया जा सकता है जब किसान भाई नवीनतम कृषि पद्धतियों के साथ-साथ उन्नत पशु प्रबन्धन तकनीकों का भी उपयोग करें। दूध उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान रखने के बावजूद भी वैश्विक परिदृश्य में भारत की स्थिति नगण्य है। इसका प्रमुख कारण दूध का अन्तर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा न उतर पाना है। राजस्थान कृषि महाविद्यालय उदयपुर के सहायक आचार्य डॉ. उी पी एस डूडी ने बताया कि राजस्थान जैसे विशाल भू-भाग वाले प्रदेश के किसानों के लिए तो पशुधन आर्थिक प्रगति का मूल आधार है। पशुपालन न केवल लोगों की नियमित आमदनी में सहयोग करता है अपितु प्राकृतिक आपदाओं एवं विपत्तियों में सर्वोत्तम वित्तीय सुरक्षा भी प्रदान करता है।
पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजेन्द्र पारडे ने बताया कि डेयरी उद्योग हेतु उन्नत तथा उत्तम नस्ल के पशुु पालने की आवश्यकता प्रतिपादित की। नवजात बछडों के सन्दर्भ में गाय अथवा माँ द्वारा बछड़े को चाटने देना एवं ब्याने के 2 घन्टे बाद बछड़े को खीस पिलाना आवश्यक बताया और उन्नत पशु प्रबन्धन तकनीकों की जानकारी देते हुए सुअर पालन, कुक्कुट पालन, खरगोश पालन, बटेर पालन आदि सहायक व्यवसायों को भी अपनाने की सलाह दी। तकनीकी सहायक गोपाल टेपन ने स्वच्छ दूध उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन द्वारा अधिक आय अर्जित करने की तकनीकी जानकारी दी। सहायक कृषि अधिकारी नन्द लाल सेन ने बताया कि प्रशिक्षण में 40 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।