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दुश्मन के प्रति भी रखे कल्याण के भाव- शास्त्री

दुश्मन के प्रति भी रखे कल्याण के भाव- शास्त्री

भीलवाड़ा। किसी अपराधी को क्षमा कर देना एक महान गुण है जो महापुरूषों व भगवान में ही हो सकता है। ये भगवान श्रीकृष्ण ही थे जो पहली गाली सुनने के बाद ही मृत्युदंड देने का सामथ्र्य होने पर भी 99 गाली तक माफ करते जाते है। सुदर्शन चक्रधारी होने के बाद हाथ में मुरली रखने वाले ओर द्वारिका जैसा वैभव होने पर भी सुदामा जैसा मित्र रखने वाले भगवान श्रीकृष्ण ही हो सकते है।

ये विचार माणिक्यनगर स्थित रामद्वारा धाम में वरिष्ठ संत डॉ. पंडित रामस्वरूप शास्त्री (सोजत सिटी वाले) ने शनिवार को चातुर्मासिक सत्संग प्रवचनमाला के तहत व्यक्त किए। उन्होंने गर्ग संहिता के माध्यम से चर्चा करते हुए कहा कि मृत्यु के स्वरूप कालिया नाग के मस्तक पर नृत्य करने वाले भगवान श्रीकृष्ण ही हो सकते है। हर दृष्टि से क्षमतावान व सर्वशक्तिशाली होने पर भी अर्जुन का रथवाहक या सारथी बनने का कार्य श्रीकृष्ण ही कर सकते है।

शास्त्री ने कहा कि अकासुर, वक्रासुर, पूतना आदि भगवान श्रीकृष्ण को मारने आए तो उनके पास कोई हथियार नहीं था हाथ में केवल मुरली थी। परमात्मा भगवान श्रीकृष्ण में ही वह सामथ्र्य है जो दुश्मन को भी मरने पर निर्वाण या मोक्ष प्रदान करते है। कृष्ण की अद्भुत लीला इस बात से भी समझ सकते है कि ब्रज की धरती पर रहने वाले सारे राक्षसों का अंत करने वाले कृष्ण के हाथ में कोई हथियार नहीं केवल मुरली बजती रही। इसी कारण से भगवान श्रीकृष्ण को लीला का अवतार भी मानते है। उन्होंने कहा कि दुश्मनों का भी कल्याण करने वाले ऐसे भगवान श्रीकृष्ण से सीख मिलती है कि क्षमा के द्वारा दुश्मन का मोक्ष कर विजय प्राप्त की जा सकती है। दुश्मन की मृत्यु के बाद उससे किसी तरह वैर व द्वेष नहीं रखकर उसके कल्याण की कामना करनी चाहिए।

सत्संग के दौरान मंच पर रामस्नेही संत बोलताराम एवं संत चेतराम का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। प्रतिदिन सुबह 9 से 10.15 बजे तक संतो के प्रवचन व राम नाम उच्चारण हो रहा है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रात: 5 से 6.15 बजे तक राम ध्वनि, सुबह 8 से 9 बजे तक वाणीजी पाठ, शाम को सूर्यास्त के समय संध्या आरती का आयोजन हो रहा है।

दुश्मन के प्रति भी रखे कल्याण के भाव- शास्त्री