राजस्थान कांग्रेस में मचा सियासी घमासान अभी खत्म नहीं हुआ है। इस बीच यहां निर्दलीय विधायकों ने बुधवार को एक बैठक कर सियासी सरगर्मी और तेज कर दी है। 13 में से 12 निर्दलीय विधायक इस बैठक में शामिल हुए। यहां आपको बता दें कि जब पिछले साल गहलोत सरकार पर संकट आई थी तब निर्दलीय विधायकों ने गहलोत खेमे को अपना समर्थन देकर सरकार को बिखरने से बचा लिया था।
अभी राजस्थान में गहलोत और पायलट गुट के बीच राजनीतिक खेमेबाजी चरम पर है। ऐसे में निर्दलीय विधायकों की यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। इस बैठक के बाद जिस तरह निर्दलीय विधायकों ने मीडिया के सामने आकर अपनी बात रखी है उससे यह जाहिर हो रहा है कि सभी 12 विधायक एक बार फिर अशोक गहलोत के समर्थन में खड़े हैं।
बैठक में शामिल निर्दलीय विधायक सनयाम लोढा ने कहा कि 'निर्दलीय विधायकों की इस बैठक के बाद गहलोत सरकार से आग्रह किया गया है कि वो ग्राम सेवक और पटवारी के रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए उचित कदम उठाएं ताकि शासकीय कार्यों को बेहतर किया जा सके। इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों को भी रेगुलर करने की मांग सरकार से की गई है।' निर्दलीय विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए कोविड-19 की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भी सराहना की है।
आपको बता दें कि पायलट खेमा मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की अपनी मांगों को लेकर मुखर है। लेकिन इस मुद्दे पर भी पायलट खेमे को निर्दलीय विधायकों का साथ मिलता नहीं दिख रहा है। निर्दलीय विधायकों ने इस बैठक में कैबिनेट विस्तार को लेकर भी चर्चा की है। निर्दलीय विधायक सनयाम लोढा ने कहा कि 'इस बात का निर्णय मुख्यमंत्री करेंगे कि कैबिनेट का विस्तार कब होना चाहिए और किसे कैबिनेट में जगह मिलनी चाहिए। यह राज्य की जनता की दिलचस्पी का विषय नहीं है कि इसे लेकर सरकार पर दबाव बनाया जाए'