भारत ने सैम करन की करिश्माई पारी के बावजूद इंग्लैंड की एक और बड़ा लक्ष्य हासिल करने की उम्मीदों पर पानी फेरकर तीसरे और अंतिम वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट मैच में रविवार को यहां सात रन से जीत दर्ज करके सीरीज 2-1 से अपने नाम की। भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी के लिये आमंत्रित किये जाने के बाद 48.2 ओवर में 329 रन बनाकर आउट हो गयी लेकिन इंग्लैंड दूसरे वनडे की तरह बड़ा लक्ष्य हासिल नहीं कर पाया और उसकी टीम नौ विकेट पर 322 रन ही बना पायी। सैम करेन ने 22 रन के निजी योग पर हार्दिक पंड्या से मिले जीवनदान के बाद 83 गेंदों पर नाबाद 95 रन की पारी खेली। उन्होंने अपनी पारी में नौ चौके और तीन छक्के लगाए। उनकी पारी से इंग्लैंड की उम्मीदें जगी लेकिन उनके अलावा केवल डेविड मलान ही अपनी अच्छी शुरुआत का कुछ फायदा उठा पाये थे। मलान ने 50 रनों का योगदान दिया।
भारतीय गेंदबाजों की प्रशंसा करनी होगी जिन्होंने बल्लेबाजी के लिये अनुकूल पिच पर अच्छी गेंदबाजी की। विशेषकर शार्दुल ठाकुर (67 रन देकर चार) ने साझेदारी तोड़ने का अपना कौशल दिखाया जबकि भुवनेश्वर कुमार (42 रन देकर तीन) ने धारदार गेंदबाजी की। इससे पहले शिखर धवन (56 गेंदों पर 67 रन, 10 चौके) और रोहित शर्मा (37 गेंदों पर 37 रन, छह चौके) ने पहले विकेट के लिये 103 रन जोड़कर भारत को अच्छी शुरुआत दिलायी लेकिन इंग्लैंड के स्पिनरों ने जल्द ही स्कोर चार विकेट 157 रन कर दिया। इसके बाद ऋषभ पंत (62 गेंदों पर 78) और हार्दिक पंड्या (44 गेंदों पर 64) ने 99 रन जोड़कर स्थिति संभाली। इन दोनों ने अपनी पारियों में पांच चौके और चार छक्के लगाए। भारत ने इस तरह से इंग्लैंड से तीनों प्रारूपों में सीरीज जीती। उसने टेस्ट मैचों में 3-1 और टी20 इंटरनेशनल में 3-2 से जीत दर्ज की थी।
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भुवनेश्वर ने दोनों सलामी बल्लेबाजों जैसन रॉय (14) और जॉनी बेयरस्टॉ (एक) को लगातार ओवरों में आउट करके भारत को अच्छी शुरुआत दिलायी। उन्हें बेन स्टोक्स का विकेट भी मिल जाता लेकिन हार्दिक ने उनका हवा में लहराता आसान कैच छोड़ दिया। स्टोक्स हालांकि इसका फायदा नहीं उठा पाये और टी नटराजन की फुलटास उन्होंने डीप मिडविकेट पर धवन के सुरक्षित हाथों में पहुंचा दी। स्कोर तीन विकेट पर 68 रन हो गया। कप्तान जोस बटलर (15) लगातार तीसरे मैच में नहीं चल पाये। शार्दुल ठाकुर ने उन्हें एलबीडब्ल्यू आउट किया जिसके लिये भारत ने डीआरएस का सहारा लिया।
हार्दिक ने पांचवें गेंदबाज के रूप में वनडे सीरीज में पहली बार गेंद संभाली। यह कुल चौथा और 1997 के बाद पहला अवसर था, जब भारत पांच तेज गेंदबाजों के साथ उतरा। लियाम लिविंगस्टोन (31 गेंदों पर 36 रन) और मलान जब पारी संवारने का काम रहे थे तब ठाकुर ने इन दोनों को पवेलियन भेजा। लिविंगस्टोन ने उनकी फुलटॉस पर वापस कैच दिया तो मलान ने शार्ट मिडविकेट पर खड़े रोहित को कैच का अभ्यास कराया। इन दोनों ने पांचवें विकेट के लिये 60 रन की साझेदारी की। भुवनेश्वर 30 ओवर के बाद दूसरे स्पैल के लिये और उन्होंने खतरनाक दिख रहे मोईन अली (25 गेंदों पर 29) को पवेलियन भेज दिया। हार्दिक ने उनका बेहतरीन कैच लिया लेकिन करेन का आसान कैच छोड़ा। करेन ने इसके बाद आदिल राशिद (19) के साथ 57 और मार्क वुड (14) के साथ 60 रन की साझेदारी करके मैच को रोमांचक बना दिया था।