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सावधानी व टीके से ही बचेंगी जिंदगियां

सावधानी व टीके से ही बचेंगी जिंदगियां

ऐसे वक्त में जब देश टीकाकरण का डेढ़ सौ करोड़ का आंकड़ा छूने के करीब है, एक बार फिर देश में एक दिन में एक लाख से अधिक लोग संक्रमित होने लगे हैं। बीते साल अप्रैल में संक्रमण ने एक लाख का आंकड़ा छुआ था। पांच दिन में संक्रमण दुगना होना नये वेरिएंट ओमीक्रोन की संक्रमण क्षमता को दर्शाता है। देश के तमाम प्रयासों के बीच विचलित करने वाली खबर यह है कि शुक्रवार को दूसरे दिन भी इटली से अमृतसर आई फ्लाइट में डेढ़ सौ लोग जांच में संक्रमित पाये गये। बृहस्पतिवार को भी 125 लोग संक्रमित पाये गये थे। कैसे कोई देश बिना जांच के लोगों को यात्रा करने की अनुमति दे रहा है। कैसे एयरलाइंस संक्रमितों को सफर का मौका दे रही है? ऐसी लापरवाहियां ही देश को मुश्किल में डाल रही हैं। इससे देश में कोरोना विस्फोट की स्थितियां बन रही हैं और देश के तमाम प्रयासों को पलीता लगा रही हैं। देश में फिर से कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने का रिकॉर्ड टूटने लगा है। अब तो विशेषज्ञ भी मानने लगे हैं कि देश तीसरी लहर के भंवर में फंस चुका है। अच्छी बात है कि जान गंवाने वालों का आंकड़ा नहीं बढ़ा है और अस्पतालों पर अभी पहले जैसा दबाव नहीं है। केंद्र सरकार लगातार राज्य सरकारों को निर्देश दे रही है। राज्यों को भी गंभीरता दिखाने की जरूरत है। विभिन्न राज्यों में नाइट कर्फ्यू, बाजारों में बंदी, आधे कर्मचारियों के साथ कार्यालयों में काम, स्कूल-कालेज बंद करने तथा मास्क को लेकर सख्ती की जा रही है। ऐसे वक्त में जब निजी चिकित्सा-तंत्र का पूरी तरह व्यवसायीकरण हो चुका है कोरोना जांच-उपचार की सरकारी सुविधाओं बढ़ाने की जरूरत है। दिल्ली व महाराष्ट्र में संक्रमण में खासी तेजी आई है और नये मामलों में आधे इन दोनों शहरों से हैं। मुंबई में रोज बीस हजार मामले आने के बाद लॉकडाउन लगाने की बात की जा रही है।

वहीं चिंता की बात यह कि नये संक्रमणों में आधे नये वेरिएंट ओमीक्रोन के हैं जो बेहद संक्रामक है। फिक्र यह कि पिछली बार की तरह ही हालात बेकाबू न हो जाएं। अच्छी बात है कि सरकार ने चिकित्सकों, फ्रंटलाइन वर्करों तथा साठ साल से अधिक के असाध्य रोगों से जूझ रहे लोगों को तीसरी सुरक्षा डोज देने के कार्यक्रम की घोषणा की है। वहीं पंद्रह से 18 वर्ष तक के किशोरों को टीका लगाने का कार्यक्रम गति पकड़ रहा है। किशोरों में टीकाकरण को लेकर उत्साह देखते ही बनता है। लेकिन यहां महत्वपूर्ण है कि इस धारणा से मुक्त होना होगा कि नया वेरिएंट ज्यादा घातक नहीं है। ये सोच लापरवाही को बढ़ावा दे सकती है, जिसका खमियाजा अमेरिका जैसे देश भुगत रहे हैं, जहां हर रोज दस लाख तक नये संक्रमण के मामले आये हैं। सावधानी जरूरी है लेकिन इसका मतलब घबराहट नहीं है। सावधानी व हौसलों से इस महामारी का मुकाबला किया जाना चाहिए। हमें दूसरी लहर की तबाही भी याद रखनी है और सावधानी बरतनी है। अनावश्यक रूप से संक्रमण के जोखिम को दावत देने से बचना है। सावधानी के साथ हम अपनी दिनचर्या का पालन कर सकते हैं, इस सत्य को मानते हुए कि देश तीसरी लहर की आंधी की चपेट में आ चुका है। अच्छी बात यह है कि देश में साठ फीसदी से अधिक वयस्क आबादी को दोनों टीके लग चुके हैं जिनके संक्रमण होने की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की आशंका कम हो जाती है। लेकिन दुनिया में ओमीक्रोन संक्रमितों की मृत्यु की खबरें भी आनी शुरू हो गई हैं, अत: किसी तरह की लापरवाही से बचना चाहिए। जिनकी सेहत पहले से खराब है,उनके लिये चिंता की बात है। यह जानते हुए कि देश में स्वास्थ्य सेवाएं पर्याप्त नहीं हैं और निजी चिकित्सा-तंत्र मुनाफे की ही भाषा समझता है, हमें लापरवाही से स्वास्थ्य-तंत्र पर दबाव नहीं बढ़ाना है। जान के साथ जहान की फिक्र करनी है ताकि फिर देश में पटरी पर लौटती अर्थव्यवस्था न डगमगाए। साथ ही हम वायरस को म्यूटेट न होने दें, अन्यथा नये वेरिएंट का खतरा बना रहेगा।