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सामाजिक समरसता को बढ़ाने वाला महापर्व है मकर संक्रांति - प्रो.पाण्डेय

सामाजिक समरसता को बढ़ाने वाला महापर्व है मकर संक्रांति - प्रो.पाण्डेय

निंबाहेड़ा (हलचल)। मकर संक्रांति पर समाज के प्रत्येक वर्ग को आगे आकर जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए। संक्रांति का पुण्य काल दान देने की ओर प्रेरित करता है और यह तभी फलित होगा जब आपके आसपास कोई भूखा ना सोए और न ही इस कड़ाके की ठंड में कंबल, गरम वस्त्र आदि के अभाव में रहे। गुड़ और तिल हमें ठंड से लड़ने में सहायक बनते हैं। इसीलिए सभी भारतीय महापर्व उत्सव आदि का विधान ऋतु विज्ञान पर आश्रित है। इसकी वैज्ञानिकता को समझकर किसी भी वर्ग को जो भी जरूरतमंद हैं। आपको निश्चित ही यथासंभव दान करना चाहिए। यह विचार श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रो. विनय कुमार पाण्डेय ने व्यक्त किए। ध्यातव्य है कि प्रो. पाण्डेय राष्ट्रपति सम्मान गृह मंत्री सम्मान प्रधानमंत्री आदि सम्मानों से अलंकृत हैं। समाज में व्रत त्योहार संक्रांति को लेकर उत्पन्न विभिन्न भ्रम की स्थितियों को दूर करने के लिए शास्त्रोक्त और सही निर्णय द्वारा समाज को जागरूक करने के लक्ष्य से राष्ट्रीय युवा दिवस पर संक्रान्ति का ज्योतिषीय स्वरूप विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी रखी गई। प्रो. पाण्डेय ने बताया कि संक्रांति का अर्थ सही दिशा में क्रांति करने से है। मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य दक्षिण से उत्तर अयन की यात्रा प्रारंभ करते हैं तभी से दिन बड़ा और रात्रि छोटी होने लगती है। दिन का अर्थ प्रकाश से है। यही से असुरों की रात्रि एवं देवताओं के दिन की कल्पना की गई है। सभी व्रत त्योहार एक निश्चित समयावधि में समाज कल्याण के हेतु से निर्मित हैं। जैसे शार्दियों में कंबल गुड़ तिल का दान, गर्मियों में जल भरा कुंभ, पंखे, और वर्षा ऋतु में छाता आदि का दान करना अधिक फलदाई माना गया है। कार्यक्रम के संरक्षक कैलाशचंद मूंदड़ा चेयरपर्सन श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय ने बताया कि संपूर्ण विश्व में सबसे अधिक युवा भारत में हैं। यह युवाओं का देश है। आज प्रत्येक युवा को स्वामी विवेकानंद के आदर्शो पर चलने की आवश्यकता है। विवेक और आनंद जब एक साथ जुड़ जाए तभी विवेकानंद बना जा सकता है। इसी क्रम में युवाओं को भारत के गौरवशाली इतिहास की ओर ले जाते हुए उन्होंने इस दिन को छत्रपति शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई का जन्मदिन आज होने की बात की और सभी देशवासियों को युवा दिवस के साथ जीजाबाई के जन्मदिन की बधाई दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्रो. लक्ष्मी शर्मा कुलपति वैदिक विश्वविद्यालय ने युवा दिवस की बधाई देने के साथ ज्योतिष में संक्रांति की व्याख्या करते हुए कहा कि मकर राशि शनिदेव की है और इस राशि में शनिदेव के पिता आते हैं तब यह पिता और पुत्र के मिलन का अद्भुत योग मकर संक्रांति कहलाती है। गुड़ सूर्य का प्रतीक और तिल शनि का और दोनों का मिलन पिता पुत्र के रिश्ते को दर्शाता है। आज समाज में युवा अपने अभिभावकों से दूर होते जा रहे हैं, जबकि ज्योतिष शास्त्र पिता पुत्र के मिलन को एक उत्सव मनाने को बताता है। कार्यक्रम संयोजक डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में ठाकुरजी का पूजन कर कार्यक्रम को विधिवत शुभारंभ कैलाशचंद्र मूंदड़ा ने किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से ज्योतिष अनुरागी जुड़े जिनमें तिरुपति से डॉ.कृष्ण कुमार भार्गव, उत्तराखंड से डॉ. सुनील त्रिपाठी, डॉ.नन्दन तिवारी, उज्जैन से डॉ.योगेश शर्मा, डॉ. विजय कुमार, डॉ.पतंजलि कुमार पाण्डेय, काशी से प्रो. सुभाष पाण्डेय, पुरी से डॉ.गणेश मिश्र आदि ने जुड़कर कार्यक्रम को सफल बनाया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मनीष शर्मा सहायक आचार्य ज्योतिष विभाग ने किया और तकनीकी सहयोग नीतिश शर्मा का रहा।