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मनुष्य लोभ के चक्कर में ईमानदारी बेचने के साथ सत्य को नीलाम कर देता है-समकितमुनि 

मनुष्य लोभ के चक्कर में ईमानदारी बेचने के साथ सत्य को नीलाम कर देता है-समकितमुनि 

भीलवाड़ा-मूलचन्द पेसवानी | आदमी भले बहुत छुपाकर पाप करे और सोचे कि कौन देख रहा लेकिन ज्ञानीजन कहते है पाप दूसरों से छुपा लोंगे लेकिन जब कर्म उदय होंगे तब कैसे छुपाओंगे। पाप कर्म प्रकट होते ही भले एक जन्म की जगह दस जन्म बाद प्रकट हो। पाप कभी छुपते नहीं भले कितने ही प्रयास कर लो। 
ये विचार श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शांतिभवन में गुरूवार को नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मनुष्य छोटे-छोटे लोभ के चक्कर में स्वयं की ईमानदारी बेचने के साथ सत्य को नीलाम कर देता है। ऐसा करने पर हमारी आत्मा संसार सागर से कैसे पार होगी। जिंदगी में बेईमानी के अलावा क्या बचेगा। महापुरूष कहते है बेईमानी की चॉकलेट खाने से बहुत अच्छा ईमानदारी के चने चबाना है। बेईमानी की चॉकलेट या मिठाई कभी हजम नहीं हो सकती और एक जैन श्रावक के लिए तो इसकी बिलकुल अनुमति नहीं है। धर्मसभा के शुरू में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने प्रेरक गीत ‘जगत के रंग क्या देखे तेरा दीदार काफी है’ पेश किया। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा में बाहर से पधारे अतिथियों का स्वागत शांतिभवन श्रीसंघ के सहमंत्री प्रकाशचन्द्र पीपाड़ा, मनोहरलाल सूरिया, अमरसिंह डूंगरवाल, गोपाल लोढ़ा आदि ने किया। संचालन श्रीसंघ के सहमंत्री प्रकाश पीपाड़ा ने किया।  
समकितमुनिजी ने कहा कि सूर्य,चन्द्रमा, अग्नि आदि का द्रव्य प्रकाश सीमित क्षेत्र को सीमित समय के लिए रोशन कर सकता पर भाव प्रकाश लोक एवं परलोक दोनों को प्रकाशित करता है। घोर अंधकार में रहने वालों का अंधकार जिन भास्कर ही खत्म कर सकते है। अज्ञान रूपी अंधकार खत्म करने के लिए जिन भास्कर जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिनेन्द्र की वाणी व तीर्थंकर की वाणी में इतना सामर्थ्य है कि अज्ञान रूपी अंधकार को खत्म कर सके। ऐसा होने पर पाप के प्रति आकर्षण भी समाप्त हो जाएगा। झूठ, चोरी, हिंसा, छलकपट व मायाचारी के प्रति भी आकर्षण नहीं रहेगा। अज्ञान खत्म होने पर सारे पापों के प्रति आकर्षण समाप्त हो जाएगा। 
लोगस्स पाठ एवं मांगलिक का आयोजन शनिवार को 
बदी चतुर्दशी के अवसर पर 24 सितम्बर को सुबह 9 बजे से शांतिभवन में पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में लोगस्स पाठ एवं मांगलिक का आयोजन होगा। इस दिन लोगस्स पाठ एवं मांगलिक सुनना विशेष पुण्यदायी माना जाता है। श्रमण संघीय महामंत्री पूज्य सौभाग्यमुनिजी म.सा. की द्वितीय पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में 25 सितम्बर को सामूहिक सामायिक आराधना एवं 27 सितम्बर को गुणानुवाद सभा का आयोजन होगा। इस अवसर पर सामूहिक सामायिक आराधना के तहत 1008 सामूहिक सामायिक करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी तरह 27 दिवसीय आगम आराधना का आगाज 29 सितम्बर को आगम बत्तीसी रैली के साथ होगा। आगम आराधना के तहत भगवान महावीर की वाणी उत्तराध्ययन सूत्र का वाचन किया जाएगा। आयम्बिल ओली की आराधना 1 अक्टूबर से शुरू होगी। पिछले 51 वर्ष से एकान्तर आयंबिल तप की आराधना कर रहे पूज्य समुतिप्रकाशजी म.सा. के जन्मोत्सव के दो दिवसीय आयोजन के तहत एक अक्टूबर को सामूहिक आयंबिल तप की आराधना एवं 2 अक्टूबर को गुणानुवाद दिवस का आयोजन किया जाएगा।