आसींद (सुरेन्द्र संचेती) हम धार्मिक शास्त्र पढ़कर धर्म की महिमा को अच्छी तरह से जान सकते है। जीवन में व्यावहारिक शिक्षा से पहले संस्कारो की जरूरत होती है इन संस्कारो का बीजारोपण बचपन में ही माता पिता और परिवार द्वारा बच्चो में किया जाना चाहिए। हमे जो धर्म मिला है वो जीवन गुजारने के लिए नही सुधारने के लिए मिला है, हमारा जीवन केसे सुखमय और सुख शांति वाला बने इस पर चिंतन करना चाहिए। उक्त विचार पर्युषण पर्व के षष्ट्म दिवस पर साध्वी कमल प्रभा ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।
साध्वी ने कहा कि पहले मां अपने बच्चो को धार्मिक कहानियां सुनाकर संस्कार प्रदान करती थी परन्तु आजकल के माता और पिता को टी वी और मोबाइल देखने से ही फुर्सत नही है। माता पिता द्वारा बच्चो को संस्कार देने में रुचि नहीं होने से भविष्य में हम बच्चो से अच्छे संस्कार की उम्मीद रखे वो व्यर्थ है। जिस परिवार में सहनशीलता है उस घर में सुख शांति रहती है।
साध्वी लब्धि प्रभा ने कहा कि आज दुनिया व्यसन और फैशन से ग्रसित है। विदेशी फैशन ने भारतीय संस्कृति को भी चपेट में ले लिया है इससे निजात पाने के लिए बच्चो को संस्कारित बनाना होगा। माता पिता को बच्चो को समय देना होगा। साध्वी सुदर्शन प्रभा ने अंतकृतदशा सूत्र का वाचन कर व्याख्या की। साध्वी तरुण प्रभा, मणि प्रभा ने मधुर गीतिका प्रस्तुत की। महिला मंडल एवम ज्ञान शाला के बच्चो ने जंबू स्वामी पर रोचक नाटक की प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया। धर्म सभा को शिल्पा मेहता, भावना मेहता, ललित कुमार चौधरी आदि ने संबोधित किया। धर्मसभा में अनिता कोठारी, मीनाक्षी ओस्तवाल, दीपक सोनी ने 6-6 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। प्रवचन के पश्चात चांदमल तरुण कुमार चौधरी की तरफ से प्रभावना वितरण की गई। संघ अध्यक्ष चंद्र सिंह चौधरी, मंत्री पूरण मल चौधरी ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया।