चित्तौड़गढ़। भारत की लोक परंपरा में पर्यावरण को समर्पित पर्व आंवला नवमी पर पर्यावरण गतिविधि की प्रेरणा से एकल अभियान द्वारा आवले के वृक्ष की पूजा कर 11 आवलो के वृक्षों का वितरण कर रोपण किया गया। एकल अभियान की मातृशक्ति संयोजक ज्योति तिवारी ने बताया कि आंवला नवमी मेवाड़ में महिलाओं द्वारा धूमधाम से मनाई जाती है एवं पूजा कर महिलाएं घर मे लक्ष्मी और सुख शांति की कामना के लिए आवले के वृक्ष की पूजा करती है। इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पर्यावरण गतिविधि के प्रांत सहसंयोजक धर्मपाल गोयल नगर संयोजक सतीश सोनी एकल अभियान के जिला सचिव बसंत गोयल हिंदू जागरण मंच के विभाग संयोजक राजकुमार कुमावत विश्व हिंदू परिषद के गोपाल कृष्ण दाधीच आदि के सानिध्य में आवले के वृक्ष की वैदिक मंत्र कर के साथ पूजा की गई तथा 11 पौधों का विधिवत पूजन कर महिलाओं को वितरण किया गया। आवले के वृक्ष की महिमा बताते हुए धर्मपाल गोयल ने बताया कि हमारे शास्त्रों में आंवले को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है, इसके पीछे भाव आवले के औषधीय गुण है। यह आयुर्वेद के अनुसार सबसे बड़ा रसायन है, जिससे आदमी की अकाल मृत्यु नहीं होती, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है तथा यह जितनी भी शक्ति वर्धक दवाइयां है, उन सब का मुख्य कंटेंट है। च्यवनप्राश का मुख्य घटक वाला महर्षि चवन्य का आविष्कार आज भी मानव हित में सबसे बडी भूमिका अदा कर रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। गोयल ने समाज से आह्वान किया कि इस ऋतु में आवले के फल का सेवन करें और आवले के वृक्ष का रोपण करें पुराणों में इसका धार्मिक महत्व भी है, यह कहा गया है कि यह पार्वती जी और लक्ष्मी जी के भावपूर्ण अश्रु धारा से आवले के वृक्ष का निर्माण हुआ है। अतः यह लक्ष्मी और पार्वती जी दोनों का ही प्रिय वृक्ष है। कार्यक्रम में उदय, रवि, मुकेश माली, राधा देवी, अग्रवाल सहित पर्यावरण प्रेमी रहे।