भीलवाड़ा। तेरापंथ भवन नागौरी गार्डन में पर्युषण पर्व का छठा दिन जप दिवस के रूप में मनाया गया। शासन मुनि हर्षलाल ने आचारंग सूत्र के 15वें अध्याय में जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर के अंतिम भव का वर्णन करते हुए कहा महावीर प्रभु जगत वंदनीय है। हम उनके गुणों का अनुसरण करते हुए अपनी आत्मा का कल्याण करे। आज के जप दिवस पर मुनि ने कहा कि जप संयम की साधना है। जप स्वाध्याय के अन्तर्गत आता है। जप द्वारा हम अपनी आत्म शक्ति को पहचाने। कम से कम आधे घंटे का जप हर व्यक्ति को करना चाहिए। मुनि पारस कुमार ने जप की महत्ता बताई। जप क्यों, कब और कैसे करना चाहिए इसकी जानकारी दी। मुनि यशवंत कुमार ने भगवान महावीर के कठोर साधना मय जीवन को क्रमश: बताते हुए वीर प्रभु महावीर की साहसिक, पराक्रमी घटनाओं से अवगत कराया। पूरी तन्मयता के साथ अगर व्यक्ति जप करता है तो वह अपने जीवन की अनेक समस्याओं, उपद्रवों से निजात पा सकता है। भीतर की सुषुप्त शक्तियों को उजागर करके वह बंधन मुक्ति की दिशा में आगे बढ़ सकता है। मुनि द्वारा अध्यात्म के इस महापर्व पर तप, त्याग, जप सामयिक एवं अधिक से अधिक भाई बहिन पोषध द्वारा अपने कर्मों की निर्जरा करे ऐसी प्रेरणा दी गई। महिला मंडल प्रचार प्रसार मन्त्री नीलम लोढ़ा ने बताया कि श्रावक सामज द्वारा अखंड जप का क्रम निरंतर गतिशील है। जप प्रभारी लक्ष्मीलाल झाबक ने जप दिवस पर विचार व्यक्त किए। सभा अध्यक्ष जसराज चोरडिया एवं सुमित नाहर ने संस्थागत सूचनायें दी।