मुंडका इलाके की इमारत में जैसे ही आग लगी वाचिक में चिल्लाने की आवाजें रोंगटे खड़े करने लगी थी और कई लोग छतों से कूदकर अपनी जान बचाते नजर आएलेकिन किसी को कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था। उधर, मौत हर किसी का पीछा कर रही थी। कई खुशकिस्मत लोगों ने मौत को मात भी दी और सही सलामत बाहर आ गए, परंतु कुछ बदनसीब ऐसे भी थे जो खुद का जीवन नहीं बचा पाए। हालात इतने भयावह थे कि आसपास के लोग मंजर देखकर बेहाल थे। चीख-पुकार सुनकर उनके रोंगटे खड़े हो रहे थे...
, फौरन ही बचाव कार्य शुरू हो गया। आग पर काबू पाने के बाद बचाव दल जैसे-जैसे इमारत में दाखिल हुआ एक-एक शव मिलते गए। सबसे अधिक शव दूसरी मंजिल से बरामद हुए।बचाव कार्य में जुटे दमकल अधिकारियों का कहना था कि अंदर का मंजर बेहद खौफनाक था। ज्यादातर शव कोयला बन चुके थे। उनकी पहचान कर पाना संभव नहीं था। एक-एक कर शवों को बिल्डिंग से निकालने के बाद उनको संजय गांधी अस्पताल की मोर्चरी में सुरक्षित रखवाया गया। मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों का कहना था कि शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट कराना होगा।
मामले की जांच कर रहे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इमारत में सबसे ज्यादा शव दूसरी मंजिल से बरामद हुए। देर रात तक बिल्डिंग की तलाशी का काम जारी थी। इमारत से मिले ज्यादातर शव कोयला बन चुके थे। कुछ शवों का तो यह तक भी पता नहीं चल पा रहा था कि मरने वाली महिला है या पुरुष।
फरा-तफरी के बीच बिल्डिंग में काम करने वाले जो लोग गायब थे, पुलिस उनकी सूची बनाने में जुटी थी। पुलिस कहना है कि गायब लोगों और मरने वाले लोगों की संख्या का मिलान करने के बाद गायब लोगों के परिजनों का डीएनए सैंपल लिया जाएगा। इसके बाद शवों के डीएनए को भी लेकर परिजनों के डीएनए से मैच कराया जाएगा। इस प्रक्रिया में तीन या इससे ज्यादा दिन का समय लग सकता है।