भीलवाड़ा संपत माली। एक से सवा साल पहले लाखों रुपये से जिला अस्पताल परिसर में बनाये गये मुर्दाघर के निर्माण में भ्रष्टाचार की परतें उधडऩे लगी है। हालत यह है कि मुर्दाघर के बाहर चारों और दीवारों का प्लास्टर गिरने लगा है। वहीं भीतरी भाग में भी कुछ जगह का प्लास्टर गिर चुका है। इससे जाहिर है कि इस निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल के साथ ही भ्रष्टाचार से इनकार नहीं किया जा सकता। अस्पताल प्रशासन से जब इस बारे में जानकारी चाही तो उन्हें न तो प्लास्टर गिरने और न ही निर्माण पर खर्च हुई राशि की जानकारी थी।
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, जिले के सबसे बड़े महात्मा गांधी चिकित्सालय में जर्जर हो चुके मुर्दाघर का लाखों रुपये खर्च कर निर्माण करवाया गया। यह निर्माण 2022 में पूरा होने के बाद इसे अस्पताल प्रशासन को सौंप दिया गया। जानकारों की माने तो इस मुर्दाघर को चालू हुये एक से सवा साल ही हुआ है। अभी से मुर्दाघर के बाहरी हिस्से की चारों और की दीवारों से तीन से चार फीड़ की चौड़ाई से प्लास्टर गिर चुका है। ऐसा ही हाल भितरी भाग का भी है। अंदर से भी कुछ हिस्से का प्लास्टर कर चुका है।
एक से सवा साल पहले बने इस भवन के अभी से यह हाल है, जिससे इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ है।
उधर, जिला अस्पताल के पीएमओ अरुण गौड़ से जब इस मुर्दाघर की स्थिति के बारे में जानकारी चाही तो उनका कहना था कि इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। जब उनसे इस निर्माण पर खर्च हुई राशि के बारे में पूछा गया तो अनभिज्ञता जाहिर की। साथ ही यह भी कहा कि टूटे प्लास्टर की रिपेयरिंग करवा देंगे।