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वीर की मुक्ति समर भूमि मे होती है - कुंवर प्रताप सिंह  बारहठ

वीर की मुक्ति समर भूमि मे होती है - कुंवर प्रताप सिंह  बारहठ

भीलवाड़ा । सांगानेर मार्ग पर  नारायणी माता सर्किल स्थित त्रिमूर्ति बारहठ परिवार की त्रिमूर्तियों पर पुष्प अर्पित कर  श्रद्धांजलि दी गई । कार्यक्रम की जानकारी देते हुये डॉक्टर कैलाश पारीक ने बताया की मात्र 25 वर्ष की उम्र मे अंग्रेज सरकार की यातनाये सहन करते करते कुंवर प्रताप सिंह बारहट ने अपने प्राण देश के लिये दे दिये । बरेली जेल मे उन्हे कई प्रकार के प्रलोभन दिये ताकी वे अपने साथियों के नाम बता दे और बाकी का जीवन आजादी से जी सके, लेकिन कुंवर साहब ने कहा की वीर की मुक्ति तो समर भूमि मे होती हैं और 24 मई 1918 को ब्रिटिश हुकुमत की यातनाये सहन से परे हो गई और अपने प्राण देश के लिये बलिदान  कर दिये ।

इस दोरान नगर परिषद् के नेता प्रतिपक्ष धमेन्द्र पारीक, पार्षद मधू शर्मा, पूर्व  सभापति  दिनेश  शर्मा, प्रभाकर चतुर्वेदी, कैलाश नंदावत, विहिप के प्रान्त समरसता अभियान प्रमुख बद्रीलाल सोमानी, विहिप के सत्संग प्रमुख बाबू लाल सेन, सेवाभारती के  अशोक कुमार सेन, विहिप के जिला उपाध्यक्ष श्याम लाल ओझा, विहिप के धर्माचार्य सम्पर्क प्रमुख  श्याम लाल शर्मा, सक्षम संस्थान के सुर्यप्रकाश बोहरा, जगदीश शर्मा, ललित जैन, नंदकिशोर जोशी, शिक्षक संघ के कैलाश सुथार, विनोद ओझा, चन्द्रमौली चारण, सेवाभारती के इंजि. गोपाल  जीनगर, जनमेजय देव सिंह  खन्गारोत, जग जितेन्द्र सिंह, सत्यनारायण शर्मा, बंशी लाल बोहरा, सुमित कुमार जोशी, भंवर लाल सेन, राकेश आदीवाल, चन्दा नंदावत समेत कई गणमान्य नागरिक उपस्थित्त थे।