मंगल रेखा को जीवन रेखा की सहायक रेखा कहा जाता है। इसे देवदूत रेखा भी कहते हैं। कुछ ग्रंथों में इसे मातृ रेखा का नाम दिया गया है। जिन लोगों के हाथों में मंगल रेखा मिलती है उन्हें जीवन में दूसरे लोगों से सहायता मिलती रहती है। इन लोगों पर जैसे ही कोई समस्या आती है तो कोई ना कोई व्यक्ति इनकी मदद के लिए आगे आ जाता है। यदि यह रेखा मंगल क्षेत्र से चलकर जीवन रेखा के समानंतर आखिर तक पहुंचे तो यह बहुत ही शुभ मानी गई है। ऐसे व्यक्ति की आंतरिक शक्ति अत्यधिक बढ़ जाती है। ऐसे लोगों को आत्मबल अधिक होता है। इस तरह के लोग बहुत अधिक परिश्रमी होते हैं। इनकी लगातार परिश्रम करने की शक्ति ही इन्हें सफल बनाती है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यदि मंगल रेखा साफ है तो सफलता जल्दी मिलती है। यदि रेखा वाले लोग सेना में हैं तो इनका बडे संकट में कुछ भी नहीं बिगड़ता और बच जाते हैं। यदि व्यक्ति की जीवन रेखा टूट रही है, लेकिन पीछे मंगल रेखा है तो इससे जीवन रेखा के दोष खत्म हो जाते हैं। यदि जीवन रेखा पर द्वीप है तो स्वास्थ्य संकट का संकेत है, लेकिन अच्छी मंगल रेखा होने से यह दोष न्यूनतम हो जाते हैं। यदि व्यक्ति की टुकड़ों में बनी हुई जीवन रेखा है, लेकिन पीछे अच्छी मंगल रेखा हो तो टूटी जीवन रेखा के दोष खत्म हो जाते हैं। यदि मंगल रेखा जीवन रेखा से दूर होते जाए तो इसका प्रभाव कम होता जाता हैं। इसका मतलब यह है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ सहायक लोगों की संख्या कम होती जाएगी। ऐसा व्यक्ति उम्र बढ़ने के साथ चिड़चिड़ा भी होता जाता है। यदि जीवन रेखा और मंगल रेखा ठीक है, लेकिन मंगल रेखा से कोई शाखा निकलकर चंद्र पर्वत पर पहुंचे तो स्त्री पक्ष से सहयोग मिल जाता है। यदि मंगल रेखा एकाएक मुड़कर अथवा कोई शाखा मुड़कर जीवन रेखा को काट दे तो इसका मतलब है कि नजदीकी लोग ही जीवन में दिक्कतें पैदा करेंगे।