चित्तौड़गढ़। साधुमार्गीय संघ के आचार्य रामलालजी म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी शासनदीपिका महासती विमलाकंवर म.सा. ने अरिहन्तभवन में चार्तुमास समाप्ति पर आयोजित विदाई समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि चार्तुमास जिनवाणी श्रवण का सुनहरा अवसर है। जिनवाणी श्रवण कर आत्मकल्याण के मार्ग पर अग्रसर हो सकते है। जिनवाणी श्रवण के बाद उसको आचरण में उतारे और तप-त्याग के द्वारा कर्मो की निर्झरा की जा सकती है।
विदाई समारोह में महासती सुमित्राश्री म.सा. व प्रगतिश्री म.सा. ने भी अपने उद्बोधन में कहाकि देवगुरू और धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखकर धर्म के मार्ग पर अग्रसर हो सकते है। दृढ़धर्मी बनकर समभाव रखते हुए शासन की सेवा में क्रियाशील रहना चाहिए।
विदाई समारोह में अरिहन्तभवन के संरक्षक रघुवीर जैन, अध्यक्ष कन्हैयालाल रामपुरिया, साधुमार्गी संघ के राष्ट्रीय मंत्री सोहनलाल पोखरना, स्थानीय संघ के संरक्षक शान्तिलाल जारोली, अध्यक्ष बसन्तीलाल चण्डालिया, गौतम पोखरना, हस्तीमल पोखरना, निरंजन नागौरी, हंसराज अब्बाणी, लोकेश नाहर, रमेश नागौरी, महिला मण्डल की राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पा मेहता, मंजु अब्बाणी, रेखा बोरदिया, सुधा चावत, उर्मिला सुराणा, अंजना मारू आदि ने अपने उद्बोधन में महासतीवर्या की प्रेरणा से तप-त्याग की प्रशंसा करते हुए चार्तुमास की सफलता के प्रति आभार जताया एवं क्षमायाचना भी की। इस चार्तुमास में आडम्बर रहित तपस्याओं की विशेषता रही। चार्तुमास प्रारम्भ से ही पुरूष एवं महिलाओं में आयम्बिल एवं एकासन की लड़ी तथा पर्युषण पर्व पर आठा ेदिन पुरूष एवं महिलाओं का अखण्ड नवकार जाप भी उल्लेखनीय है। चार्तुमास में 36 बड़ी तपस्याओं में दो मासखमण, दो पन्द्रह की तपस्या, एक ग्यारह की,नो उपवास की बारह तथा आठ उपवास की 19 तपस्यायें उल्लेखनीय है। श्रद्धालुओं ने शास्त्रीनगर, गांधीनगर, कुम्भानगर, प्रतापनगर, महावीर काॅलोनी आदि क्षैत्रों में महासतीवर्या से पधारने की विनती भी की। संघ अध्यक्ष हिम्मतसिंह अलावत के सुपुत्र सुनील अलावत ने अरिहन्तभवन से विहार कर अपने निवास स्थान पधारने का अनुरोध किया। स्मरण रहे संघ का यह 19वां तथा अरिहन्तभवन में 18वां चार्तुमास है। सादगीपूर्ण चार्तुमास सम्पन्न करने के लिए सेंती संघ के प्रति वक्ताओं ने आभार जताया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए संघ मंत्री विमलकुमार कोठारी ने कहाकि आचार्य रामलालजी म.सा. ने संघ की विनती पर विदुषी महासतीवर्या का चार्तुमास प्रदान कर संघ को उपकृत किया है। चार्तुमासकाल में भोजन, आवास आदि व्यवस्थाओं में अनुकरणीय योगदान देने वालों के प्रति भी आभार जताया और सम्पूर्ण चार्तुमासकाल की उपलब्धियों का विवरण दिया।