भीलवाड़ा/निंबाहेड़ा (हलचल)। अहिंसा यात्रा प्रणेता, महातपस्वी तेरापंथ धर्म संघ के 11वें आचार्य महाश्रमण का धवल सेना के साथ शुक्रवार सुबह 9 बजे निबाहेड़ा में मंगल प्रवेश हुआ। आचार्य का प्रवेश यादगार बन गया। आचार्य महाश्रमण 51000 किलोमीटर की अहिंसा पदयात्रा (पूर्वांचल और दक्षिणांचल) करने वाले पहले आचार्य हैं। आचार्य के अभिनंदन में प्रशासन, नगरपालिका, तेरापंथ संघ के अनुयायियों सहित संपूर्ण जैन समाज और नगरवासियों ने पलक पावड़े बिछा दिए। आचार्य के स्वागत के दौरान सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, सांसद चंद्रप्रकाश जोशी, डेयरी चैयरमेन एवं विधायक रामलाल जाट, रेखा हिरण, पूर्व यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी, पूर्व विधायक अशोक नवलखा सहित नगर के अन्य सभी जनप्रतिनिधियों ने आचार्य का आशीर्वाद लिया। इस दौरान आचार्य महाश्रमण ने कहा कि सफल जीवन और राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक व्यक्ति में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्त जीवन का होना अति आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि आचार्य महाश्रमण का आज से 10 वर्ष पूर्व राजसमंद जिले में चातुर्मास हुआ था इसके बाद मेवाड़ क्षेत्र में अब फिर आना हुआ है। आचार्य ने बताया कि वे यहां के लोगों की धर्म आस्था, समर्पण और सेवा भाव से अभिभूत हैं।
इस अवसर पर आचार्य श्री का स्वागत करने राजस्थान राज्य के कैबिनेट मंत्री उदयलाल आंजना, विधायक रामलाल जाट, चित्तौड़गढ़ के सांसद सी.पी. जोशी, पूर्व मंत्री श्रीचन्द्र कृपलानी, पूर्व विधायक अशोक नवलखा, नींम्बाहेड़ा नगरपालिका चेयरमैन सुभाष शारदा, निंबाहेड़ा के डी.वाई.एस.पी. श सुभाषचंद्र, एच.एस.ओ. हरेंद्र सिंह सोढा, तहसीलदार सीमा खेतान, जे.के. सिमेंट के अध्यक्ष आर.बी.एन. त्रिपाठी आदि अनेक राजनीतिक, प्रशासनिक, सामाजिक विशिष्ट जनों ने शांतिदूत का स्वागत किया। निम्बाहेड़ा का भी सकल जैन एवं जैनेत्तर समाज स्थान-स्थान पर खड़े होकर आचार्यवर का अभिनंदन कर रहा था। लगभग 13 किमी. का विहार कर गुरुदेव एक दिवसीय प्रवास हेतु यदुपति सिंघानिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में पधारे। मंगल प्रवचन में गुरुदेव ने कहा-भारत में सदा से आध्यात्मिक संस्कृति रही है। प्राचीन काल में कितने ऋषि, महर्षि हुए हैं और आज भी हैं। राजस्थान भी संतों की, ऋषियों की भूमि है। आज यहां आना हुआ है। हमारे तेरापंथ का जन्मस्थल यह राजस्थान मेवाड़ है। तेरापंथ का तो सदा से राजस्थान से गहरा नाता है। तेरापंथ के 9 पूर्वाचार्य राजस्थान से ही थे। आज भी राजस्थान के कितने ही संत-सतियां हमारे दीक्षित है। राजस्थानी भाषा में कितने ही ग्रंथ भी हमारे पूर्वाचार्यों द्वारा लिखे गए हैं। आज इतनी सूदूर यात्रा बाद हमारा पुनः राजस्थान में आगमन हुआ है। यहां की जनता में सद्भावना, इमानदारी जैसे अच्छे गुण आएं। सभी में सदाचार की भावना रहे तो जीवन में मंगल हो सकता है। पूज्यवर ने आगे कहा कि- यह जीवन अनित्य है। व्यक्ति को अपना समय प्रमाद में व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। यह मानव जीवन अनित्य हैं परंतु आत्मा अमर है। आत्मा हमारी जन्म-मरण करती रहती है। व्यक्ति अपनी आत्मा का हित सोचे। और सब तो राही है पर आत्मा स्थायी है। व्यक्ति अपना समय धर्माराधना में बिताकर सार्थक करना चाहिए।आचार्य महाश्रमण ने कहा कि मनुष्य जीवन नीत्य है। लेकिन आदमी स्थाई नहीं है। सभी राही है। जीवन अस्थाई है। मनुष्य का जीवन अस्थाई है। जैसे वृक्ष का पत्ता पीला पड़ जाता है। वह समय आने पर वह गिर जाता है। उसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी पत्ते के समान है। वह भी एक दिन समाप्त हो जाएगा। चेतना जागृत करना जरूरी है। क्योंकि आत्मा आगे भी रहने वाली है। नीत्य व स्थाई है। आगे भी रहने वाली है। इसलिए प्रमाद मत करों। धर्म का संचय करों।
साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि- आचार्यश्री जहां पधारते हैं ज्ञान का आलोक बिखेरते हैं। आचार्यश्री के आगमन से राजस्थान में रूपांतरण की एक नई लहर आएगी। आचार्यप्रवर के संदेशों को अपने जीवन में, आचरण में उतारें तो सच्चा स्वागत हो सकता है।
कार्यक्रम में अभिव्यक्ति देते हुए मंत्री उदयलाल आजना ने कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है जो आप जैसे महापुरुष का मुझे स्वागत करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आपने अपने सदाचार के संदेश जन जन तक पहुंचाएं हैं। आपके आगमन से राजस्थान की जनता में सद्भावना, भाईचारा एवं मानवता की भावना बढ़ेगी यह मुझे विश्वास है।
वक्तव्य के क्रम में वर्धमान स्थानकवासी संघ के मन्त्री आनंद सालेचा, खतरगच्छ संघ के सुरेंद्र चौधरी, त्रिस्तुतिक संघ के शेरासिंह पारख, तपागच्छ के अभय गारोली, दिगंबर जैन समाज से मनोज सोनी, ए.टी.बी.एफ. के कमल नाहर, विजयगच्छ के प्रकाश बड़ाला, वंडर सीमेंट के कमर्शियल हेड नितिन जैन, व्यापार संघ के शांतिलाल मारु, संयोजक बाबूलाल सिंघी, भीलवाड़ा चातुर्मास व्यवस्था समिति अध्यक्ष प्रकाश सुतरिया आदि कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे। महिला मंडल ने गीतिका प्रस्तुत की।
चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष प्रकाश सुतरिया, स्वागताध्यक्ष महेन्द्र ओस्तवाल, नवरतन मल झाबक , पंकज ओस्तवाल, महामंत्री निर्मल गोखरू ,कोषाध्यक्ष संपत चौरड़िया, मोहन सिंह भण्डारी, अनिल चौरडिया, सभाध्यक्ष भैरूंलाल चौरडिया, लादु लाल हिरण, बाबू लाल सिंघवी, प्रो. डी सी जैन, अनिल तलेसरा, ज्ञानचंद कांठेङ, लादू लाल हिरण, राजेंद्र भलावत, शुभकरण चौरडिया,सुनील चौरडिया, उत्तम रांका, भगवती चपलोत, कुन्दन सुतरिया, योगेश चण्डालिया,दिनेश कांठेङ, महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष रेखा हिरण सहित मौजूद थे।
चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष प्रकाश सुतरिया ने आज के इस अभिनंदन समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री उदयलाल आंजना का भी में आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति भीलवाड़ा की ओर से हार्दिक स्वागत करता हूँ।
जैसा कि हम देखते हैं एक पुत्र सफल यात्रा करके घर लौटता है तो उसकी मां फूली नहीं समाती है, उसी प्रकार राजस्थान की यह धरा आपश्री की जन्म भूमि , मातृभूमि आपकी इस विजय यात्रा का स्वागत करते हुए भाव विभोर है, अनंत खुशी का अनुभव कर रही है ।
मांडल विधायक रामलाल जाट ने कहा कि आचार्य महाश्रमण के राजस्थान पधारने पर हमने उनका स्वागत किया है। आचार्य महाश्रमण को राज्य सरकार ने जैन समाज की मांग के आधार पर राजकीय अतिथी का दर्जा प्रदान किया है। आज समाज में व्यभिचार पनप रहा है और हर जगह पर राग-द्वेष की भावना पनप रही है वह ऐसे संतमूनी के प्रवचनों से ही दूर हो सकता है। इस बार कोरोना महामारी ने भी लोगों को जीना सिखा दिया कि इंसान के साथ केवल अच्छाई ही जायेगी। जाट ने यह भी कहा कि हमने आचार्य महाश्रमण से निवेदन किया कि वे 2023 के मुम्बई चातुमार्स के बाद मेरे विधानसभा क्षैत्र के माण्डल के चिताम्बा ग्राम में पधारे लोगों को सद्मार्ग पर चलने का उपदेश दे।
चित्तौडग़ढ़ एसपी गोयल ने किए माकूल बंदोबस्त
चित्तौडग़ढ़ एसपी राजेन्द्र कुमार गोयल के नेतृत्व में आचार्य के नगर प्रवेश के दौरान अधिकारियों और पुलिसकर्मियों का लवाजमा काफिले के साथ रहा। इससे व्यवस्था माकूल बनी रही और असामाजिक तत्वों पर अंकुश बना रहने से शांतिपूर्ण ढंग से स्वागत कार्यक्रम संपन्न हुआ।