बॉलीवुड फिल्म 'निशांत', ' 'नजराना', 'बेटा हो तो ऐसा' जैसी फिल्मों में अभिनय करने वाली दिग्गज एक्ट्रेस सविता बजाज आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। इतना ही नहीं उनके पास अपनी बीमारी के इलाज के लिए पैसे तक नहीं हैं। उनकी सारी जमा पूंजी खत्म हो गई है और अब वह पाई-पाई को मोहताज हैं। उम्र के साथ बढ़तीं बीमारियों ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। ये सारी बातें 79 वर्षीय सविता बजाज में एक इंटरव्यू के दौरान बताई हैं।
50 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुकी हैं सविता बजाज
आपको बता दें कि दिग्गज एक्ट्रेस सविता अब तक 50 से ज्यादा फिल्मों का हिस्सा रह चुकी हैं। इसके अलावा वह 'नुक्कड़', 'मायका' और 'कवच' जैसे धारावाहिकों में भी काम कर चुकी हैं। सविता, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की एल्यूमिनी रह चुकी हैं। तीन महीने पहले एक्ट्रेस कोविड-19 का शिकार हो गई थीं, जिसकी वजह से उन्हें 22 दिन अस्पताल में रहना पड़ा। हाल ही में इन्हें सांस लेने में समस्या हो रही थी, जिसके बाद वह दोबारा अस्पताल में भर्ती हुई थीं।
इलाज के पैसे नहीं
टाइम्स ऑफ इंडिया के इंटरव्यू में सविता बजाज ने अपनी आर्थिक तंगी को लेकर बात की हैं। उन्होंने इस दौरान बताया, "मैं इन दिनों आर्थिक तंगी से गुजर रही हूं। अब मेरे पास पैसा नहीं बचा है कि मैं अपना इलाज करा सकूं। मेरा सारा पैसा इलाज में पहले ही खर्च हो गया है। एक बीमारी से ठीक हुई तो अब सांस की बीमारी ने जकड़ लिया है। नहीं जानती कि आगे मैं कैसे पेसों का इंतजाम करूंगी और कैसे जी पाऊंगी।"
काम करने की हैं इच्छा लेकिन बीमारी की वजह से हैं परेशान
सविता आगे अपना हाल बताते हुए कहती हैं, " CINTAA और राइटर्स एसोसिएशन ने 2016 में मेरी एक लाख रुपये की मदद की थी। उस समय मैं एक्सीडेंट के चलते अस्पताल में भर्ती थी। सिनटा ने भी 50 हजार रुपये मुझे दिए थे। मैं इन पैसों को उन्हें वापस देना चाहती हूं लेकिन अपने स्वास्थ्य को देखते हुए काम नहीं कर सकती। वह आगे कहती हैं कि भले ही मैं बीमार हूं लेकिन मैं काम करना चाहती हूं, लेकिन किस तरह करूं, नहीं समझ आता।
घर वालों ने छोड़ा साथ
इंटरव्यू के दौरान सविता ने बताया कि करीब 25 सालों से वह अपने होम टाउन दिल्ली में है। उनकी देखभाल करने के लिए कोई नहीं क्योंकि उनके परिवार वाले उनका साथ पहले छोड़ चुके हैं। वह कहती हैं कि सीनियर आर्टिस्ट के लिए कोई सुविधा नहीं है। जो लोग स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते काम नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। हालांकि मैं चाहती हूं कि बुजुर्ग कलाकारों के लिए एक आश्रम बने, जहां वे रह सकें। मैं मुंबई में मलाड़ में एक कमरे और किचन में रहती हूं। 7,000 उसका किराया देती हूं। मैं पैसे नहीं मांगना चाहती, लेकिन अब गुजारा करना बहुत मुश्किल हो रहा है।