उदयपुर। जिले के गोगुंदा थाने में पुलिस हिरासत में 22 साल के एक युवक की मौत हो गई। इस घटना को लेकर बढ़ते आक्रोश के बाद पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा गोगुंदा थानाधिकारी सहित पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया, जबकि अन्य स्टाफ को भी लाइन हाजिर कर दिया।
इसके साथ ही पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए के मुआवजे के साथ परिवार के एक सदस्य को राजकीय नौकरी दिलाए जाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे जाने का वादा भी किया। मामले की जांच डिप्टी लेवल के अधिकारी को सौंपे जाने और राजपूत समाज के समझाने पर परिजनों ने मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया।
इससे पहले परिजनों के साथ गोगुंदा क्षेत्र का राजपूत समाज थाने का घेराव कर बैठ गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मंजीत सिंह एवं अन्य अधिकारियों ने राजपूत समाज के प्रतिनिधियों से वार्ता की। परिजनों की मांग दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किए जाने के साथ थाना स्टाफ को हटाए जाने की थी।
परिजनों का आरोप था कि युवक की मौत पुलिस की पिटाई से हुई, जबकि पुलिस का कहना था कि उसकी मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई। कई घंटे तक चली समझाइश के बाद भी सुलह नहीं हुई, तब पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा भी गोगुंदा पहुंचे तथा उन्होंने परिजनों तथा समाज को आश्वासन दिया कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी। परिजनों तथा समाज की शर्तों को मंजूर किए जाने के बाद लोगों ने धरना समाप्त कर दिया।
यह था मामला
मिली जानकारी के अनुसार, गोगुंदा थाना पुलिस गुरुवार शाम एक युवती के अपहरण के मामले को लेकर 22 साल के युवक सुरेंद्र सिंह देवड़ा को हिरासत में लेकर थाने पहुंची थी। जहां उसकी मौत हो गई।
इधर, परिजनों का सीधा आरोप है कि पुलिस ने सुरेंद्र की बेरहमी से पिटाई की और जिससे उसकी जान चली गई, जबकि पुलिस का कहना है कि थाने पर लाए जाने के बाद उससे पूछताछ की जानी थी, लेकिन हार्ट अटैक की वजह से उसकी मौत हो गई। शुक्रवार को उदयपुर के एमबी अस्पताल में मृतक का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड के जरिए कराया गया और उसकी रिपोर्ट से मौत के कारणों का खुलासा हो पाएगा।