नुक्कड़ नाटकों के जरिए भाजपा ने केजरीवाल पर बोला हमला, इस तरह हो रहा प्रचार
नुक्कड़ नाटक आज भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। किसी संदेश को जनता के बीच पहुंचाने का यह एक सशक्त और लोकप्रिय माध्यम है। भाजपा ने अब इसका प्रयोग अरविंद केजरीवाल पर राजनीतिक हमला करने के लिए करना शुरू कर दिया है। बुधवार को दिल्ली के 256 मंडलों में नुक्कड़ नाटकों के जरिए भाजपा ने केजरीवाल पर हमला किया। नुक्कड़ नाटकों के बाद भाजपा के बड़े नेता भाषण कर रहे हैं और इसी बीच भाजपा उस आरोप पत्रक को लोगों के बीच बांट रही है जिसमें केजरीवाल पर लगे आरोप एक श्रृंखला में लिखे गए हैं। स्थानीय लोगों को भी यह माध्यम खूब आकर्षित कर रहे हैं। भाजपा इस कार्यक्रम को आगामी विधानसभा चुनावों तक चलाएगी। इसके अंतर्गत लगभग 3800 नुक्कड़ सभाएं करने की योजना बनाई गई है। ये कार्यक्रम भाजपा के संगठन की दृष्टि से बनाए गए शक्ति केंद्रों पर किए जाएंगे।
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा समेत कई संस्थाओं से जुड़े हैं कलाकार
भाजपा के लिए नुक्कड़ नाटक कर रहे एक कलाकार श्रवण कुमार ने अमर उजाला को बताया कि वे गाजियाबाद से आते हैं और एक कला कंपनी से जुड़े हैं। इस तरह की कलात्मक प्रस्तुतियों में सबसे ज्यादा नवोदित कलाकार होते हैं। नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से ऐसे कलाकारों में आत्मविश्वास बढ़ता है। साथ ही उन्हें कुछ पारिश्रमिक भी मिल जाता है जिससे उन्हें अपने परिवार पर कम आश्रित रहना पड़ता है।
इन कलाकारों में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से लेकर तमाम नाट्यविधा से जुड़े संस्थाओं के कलाकार शामिल होते हैं। एक कलाकार को एक ही दिन में दो से तीन कार्यक्रम तक करने पड़ते हैं। इससे उनके लिए यह काफी परिश्रम वाला काम होता है। लेकिन इसके लिए वे लगातार मेहनत करते हैं। एक प्रकार के मंचन के लिए कलाकारों को रिहर्सल के लिए भी समय चाहिए होता है।
dस्क्रिप्ट भी लिख रहे
स्वप्निल कुमार ने बताया कि हम सबसे पहले यह जानने की कोशिश करते हैं कि पार्टी किसी नुक्कड़ नाटक के जरिए जनता को किस मुद्दे को पहुंचाना चाहती है। पार्टी की मुख्य बातों की जानकारी करने के बाद एक पारिवारिक या व्यावसायिक संबंधों में रची एक स्क्रिप्ट भी लिखते हैं। साथी कलाकारों को अपनी-अपनी लाइनें दी जाती हैं और उसके बाद रिहर्सल किया जाता है।
इस तरह की स्क्रिप्ट लिखने के लिए दो से तीन दिन का समय मिलता है। कई बार ऐसा भी होता है कि एक ही दिन में सब कुछ तय करना पड़ता है। यानी कई बार अचानक ही नुक्कड़ नाटक की मांग आती है और पार्टियां अपना विषय बता देती हैं। इसे कम से कम समय में तैयार कर जनता के सामने प्रस्तुत करना पड़ता है। यह काम काफी कठिन होता है, लेकिन पुराने कलाकार साथियों के सहयोग से यह करना आसान हो जाता है।