राजस्थान में भाजपा की धूम: सात में 5 सीटों पर कमल खिला, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का और बढ़ेगा प्रभाव

सात में  5 सीटों पर कमल खिला,  मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का और बढ़ेगा प्रभाव
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जयपुर।

राजस्थान विधानसभा में बीजेपी विधायकों की संख्या बढ़कर 119 हो गई है। उपचुनाव में बीजेपी पांच सीटें जीत गई है। इनमें सलूंबर, खींवसर, झुंझुनूं, देवली-उनियारा और रामगढ़ सीट शामिल है। झुंझुनूं में बीजेपी की जीत इस मायने में भी अहम है। क्योंकि बीजेपी यहां दशकों से चुनाव नहीं जीती थी। बीजेपी ने अखिरी बार साल 2003 में यह सीट जीती थी। इसके बाद से यह सीट कांग्रेस के टिकट पर बृजेंद्र ओला जीतते रहे। इसलिए यह यह सीट कांग्रेस और ओला परिवार का गढ़ मानी जाती थी। अब बीजेपी के राजेंद्र भांबू ने बृजेंद्र ओला के पुत्र और कांग्रेस प्रत्याशी अमित ओला को 42,828 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हरा दिया है। 7 में से 5 पर जीत दर्ज होने से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का प्रभाव और बढ़ेगा। वर्ष 2023 के चुनाव में इन 7 में से सिर्फ सलूंबर सीट पर भाजपा को जीत मिल पाई थी।

खींवसर

खींवसर से भाजपा प्रत्याशी रेंवतराम डांगा ने 13 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की। डांगा ने आरएलपी के प्रमुख और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को हराया। कांग्रेस की उम्मीदवार डॉक्टर रतन चौधरी को मात्र 5 हजार 554 मत मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई। बेनीवाल ने लोकसभा का चुनाव कांग्रेस के समर्थन से जीता था, लेकिन इस बार कनिका बेनीवाल को हराने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा दी। इसका फायदा भाजपा को मिला। विधानसभा का पिछला चुनाव हनुमान बेनीवाल ने डांगा से मात्र 2 हजार मतों से जीता था। डांगा ने बेनीवाल से पिछली हार का बदला चुका लिया। कनिता बेनीवाल की हार से आरएलपी को तगड़ा झटका लगा है। विधानसभा में अब आरएलपी का एक भी विधायक नहीं है।

झुंझुनूं

झुंझुनूं में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र भांबू ने 42 हजार 848 हजार से जीत दर्ज की है। यहां कांग्रेस ने झुंझुनूं के सांसद बृजेंद्र ओला के पुत्र अमित ओला को उम्मीदवार बनाया, लेकिन मतदाताओं ने कांग्रेस के परिवारवाद को नकार दिया। सांसद होते हुए भी बृजेंद्र ओला अपने पुत्र को चुनाव नहीं जितवा सके। बृजेंद्र ओला ने जिद करके पुत्र को टिकट दिलवाया था। यहां निर्दलीय प्रत्याशी और पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढा ने 37 हजार वोट प्राप्त किए।

देवली उनियारा

इस सीट से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र गुर्जर ने 42 हजार मतों से जीत हासिल की है। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी केसी मीणा 31 हजार मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को 49 हजार मत प्राप्त हुए। यह सीट पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और सांसद हरीश मीणा की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई थी। पायलट और हरीश मीणा की पूरी ताकत के बाद भी कांग्रेस जीत नहीं पाई। पिछले चुनाव में हरीश मीणा ही विधायक चुने गए थे।


रामगढ़

इस सीट से भाजपा प्रत्याशी खुशवंत सिंह ने कांग्रेस के आर्यन खान को 14 हजार मतों से हराया है। भाजपा के लिए यह सीट इसलिए भी मायने रखती है कि गत लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। पिछले चुनाव में खुशवंत सिंह ने बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, तब भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा। इस बार खुशवंत सिंह को उम्मीदवार बनाया और जीत दर्ज हुई।

सलूंबर

इस सीट पर भी भाजपा की श्रीमती शांति देवी ने 1200 मतों से जीत दर्ज की है। शांति देवी भाजपा के दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी है। यहां कांग्रेस के महेश रोत तीसरे नंबर रहे है। बीएपी के उम्मीदवार जितेश कटारा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी, लेकिन मतणना के अंतिम दौर में भाजपा की जीत हुई।

दौसा

इस सीट पर कांग्रेस के डीडी बैरवा ने मात्र 23 सौ मतों से भाजपा के जगमोहन मीणा को हराया ।यह हार भाजपा से ज्यादा कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की है। मीणा ने अपने भाई जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनवाया था। किरोड़ी को उम्मीद थी कि उनके प्रभाव से जीत हासिल कर ली जाएगी, लेकिन हार का सामना करना पड़ा।

चौरासी

इस सीट पर बीएपी के अनिल कटारा ने 23 हजार मतों से जीत हासिल की है। बीएपी ने इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा है। गत चुनाव में इस सीट से राजकुमार रोत 70 हजार मतों से जीते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में रोत सांसद चुन लिए गए इसलिए उपचुनाव हुआ।

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