एनजीटी के आदेश पर गठित समिति ने गांधीसागर को माना प्रदूषित

भीलवाड़ा जल की गुणवत्ता खराब होने, खरपतवार होने, फव्वारे काम नहीं करने, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट क्षमता से कम होने, अतिक्रमण होने संबंधी तथ्यों को किया उजागर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेन्ट्रल जोनल बैंच, भोपाल में भीलवाड़ा निवासी पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू द्वारा दायर जनहित याचिका सं. 220/2024 में पारित आदेश की पालना में गठित समिति ने गांधीसागर तालाब को प्रदूषित मानते हुए अपनी रिपोर्ट में गांधीसागर झील के पानी की गुणवत्ता खराब होने, झील में खरपतवार उगने, झील की सफाई समय पर नहीं होने, 4 में से 3 फ्लोटिंग फव्वारे काम नहीं करने, अनट्रीटेड वाटर सीधे झील में जाने, प्रदूषित नाले सीधे झील मंे जाने, झील में अतिक्रमण होने, गंदगी झील की सतह पर तैरने, समूचे गांधीसागर तालाब में पॉलिथिन-डिस्पोजेबल व गंदगी होने, आसपास के क्षेत्रों में सड़ांध फैलने संबंधी तथ्यों को उजागर किया है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जिला कलक्टर भीलवाड़ा एवं सदस्य सचिव, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल जयपुर के एक-एक सदस्य की संयुक्त कमेटी गठित कर गांधीसागर तालाब की वस्तुस्थिति प्रस्तुत करने के आदेश दिये थे, जिस पर जिला कलक्टर नमित मेहता द्वारा एसडीएम दिव्यराज सिंह चुण्डावत को एवं प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा रीजनल ऑफिसर दीपक धनेतवाल को सदस्य नामित किया था। कमेटी द्वारा दिनांक 04.11.2024 को जनहित याचिका के प्रार्थी बाबूलाल जाजू, नगर परिषद एक्सईएन पवन नुवाल एवं अन्य विभागीय अधिकारियों के साथ गांधीसागर तालाब का अवलोकन किया था जिसमें तालाब पूर्ण रूप से प्रदूषित एवं अतिक्रमणयुक्त पाया गया था। उल्लेखनीय है कि एनजीटी के निर्देशानुसार राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जयपुर की टीम ने दिनांक 21.10.2024 को गांधीसागर तालाब के पानी के सेम्पल लेकर इसकी फोरेंसिक जांच की थी, जिसके विश्लेषणानुसार तालाब के पानी की गुणवत्ता अत्सधिक खराब पाई गई थी।

याचिकाकर्ता बाबूलाल जाजू ने नगर निगम मेयर राकेश पाठक, आयुक्त हेमाराम चौधरी, जिला कलक्टर नमित मेहता, प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी का ध्यान आकृष्ट करते हुए समूचे गांधीसागर तालाब में गिरने वाले मलमूत्र वाले गंदे पानी के नालों को बंद करके तालाब को खाली करके पूर्णतया सफाई करने एवं इसके पश्चात् इसमें साफ उपचारित पानी छोड़ने की व्यवस्था करते हुए तालाब का प्राकृतिक सौन्दर्यीकरण कर बीच में बने टापू को विकसित कर नौका विहार शुरू कर पर्यटन स्थल के रूप में शहरवासियों को सौगात देने का सुझाव दिया। जाजू ने कहा कि तालाब में स्वच्छ जल होने पर पूर्व की भांति पुनः देशी-विदेशी पक्षियों का तालाब पर बसेरा बनेगा।

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