भीलवाड़ा में आज भी जीवित है पुरानी मिशाल, शुद्ध खानपान की परंपरा कायम

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भीलवाड़ा। शहर के दादाबाड़ी क्षेत्र में आज भी पुरानी परंपराएं जीवित हैं। बक्ता बाबा के पीछे रहने वाले शंकर मिस्त्री और उनकी पत्नी प्रेम देवी बताते हैं कि वे आज भी पुराने तौर-तरीकों से भोजन बनाना पसंद करते हैं।
वे गेहूं और मक्की का दलिया, मूंग, उड़द और चने की दाल घर पर ही दलककर तैयार करते हैं। साथ ही, चलती हुई तेल की घाणी से निकाला गया ताजा तेल ही प्रयोग में लेते हैं।
इस पारंपरिक खानपान और स्वच्छता के प्रति समर्पण को लेकर क्षेत्र में चर्चा बनी हुई है। लोगों का मानना है कि शुद्ध भोजन और प्राकृतिक तरीके से बना आहार ही स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम है।
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