घी जैसा बताकर बिक रहा नकली घी... धोखेबाजों ने भगवान को भी नहीं छोड़ा, पूजा के घी में भी मिलावट

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भीलवाड़ा (हलचल)। तिरुपति के लड्डू में नकली घी का मामला सामने आने के बाद देश पर में देसी घी के नाम पर बिक रहे मिलावटी और नकली घी को लेकर चर्चाएं और कार्रवाई तो हो रही है लेकिन इसकी रोकथाम के पुख्ता इंतजाम नहीं हो पाए । खास बात यह है कि जिन पर मिलावटी कारोबार रोकने का जिम्मा है वही इस कारोबारी से कई जगह सांठगांठ किए हुए है । ऐसे में इन पर प्रतिबंध लगा पाना आसान काम नहीं है। यही वजह है कि आज लोगों को देशी घी के नाम पर मिलावटी और नकली खिलाकर मौत के मुंह में धकेला जा रहा है साथ ही पूजा के नाम पर अखाद्य तेलों से बना घी बेचकर पवित्रता भी नष्ट की जा रही है। देसी घी जैसा स्वाद, लाइट घी, पूजा घी और बटर से बेहतर जैसी टैग लाइन के साथ घी और मक्खन की नकल बेची जा रही है। दुकान, सुपर स्टोर्स से घी के भ्रम में उपभोक्ता वनस्पति तेल और केमिकल का मिश्रण खरीद रहे हैं।

दुकानों से लेकर ई-कामर्स वेबसाइट पर भी ऐसे उत्पादों की बिक्री हो रही है। बूंदी से मध्यप्रदेश में भेजे पांच हजार किलो से ज्यादा नकली घी की खेप भी असल में इसी मार्केटिंग रणनीति का हिस्सा है। नियमों का झोल ऐसा है कि घी की नकल बनाने और बेचने के बावजूद मिलावट की कार्रवाई से ये कारोबारी बच जाते हैं।

लाइट घी और देसी घी जैसा स्वाद

कई ब्रांड तो पैक पर लाइट घी या देसी घी जैसा स्वाद लिख देते हैं। इसमें घी शब्द को बोल्ड कर शेष इबारत को छोटा कर दिया जाता है। कोने में या बहुत छोटे अक्षरों में इन पर कुकिंग मीडियम लिखा होता है। शुद्ध घी से 100 से 200 रुपये सस्ता होने से उपभोक्ता लालच में आ जाता है। ब्रांड नेम और पैकिंग देख असली घी समझ खरीद भी लेता है।

पूजा घी पूरी तरह नकली

पंडित आशुतोष शर्मा ने बताया कि पूजन सामग्री की दुकानों पर पूजा घी के नाम से बिकने वाला घी तो पूरी तरह नकली होता है। इसे शुद्ध नहीं माना जा सकता और पूजा में तो असली गाय का घी होना चाहिए। ऐसी पूजा मान्य ही नहीं होती है। उन्होंने कहा कि पूजा के लिए जो सामग्री ली जा रही है इनमें अगर घी मिलावटी या नकली है तो वह पूजा लायक नहीं है। उन्होंने कहा कि असली घी 500 रुपए से ऊपर से कम में नहीं बिकता। कोई 500 से कम में घी बेच रहा है तो वह कैसे देगा उसकी लागत ही नहीं निकलती है। उन्होंने कहा कि पूजा के लिए सस्ता घी काम ले रहे है तो आप पूजा या हवन करें ही नहीं ।

कार्रवाई के नियम नहीं

वकील गणपत सिंह राणावत के अनुसार आमतौर पर ऐसे उत्पाद बना रहे कारोबारी पैकिंग पर देसी घी या शुद्ध घी नहीं लिखते हैं। इन पर कुकिंग मीडियम, घी जैसा स्वाद या घी का विकल्प लिखा जाता है। या सिर्फ घी की तस्वीर छापकर ब्रांड नेम छाप दिया जाता है। दरअसल कानून में कहीं भी ऐसी टैगलाइन या तस्वीर को प्रतिबंधित करने का प्रावधान नहीं हैं।

ऐसे में कानूनन इन पर मिलावट या नकली घी बेचने की कार्रवाई नहीं हो सकती। पैक के पीछे ये बारीक अक्षरों में अवयवों का विवरण लिख देते हैं, जो आमतौर पर उपभोक्ता नहीं पढ़ता। पूजा घी लिखकर भी वे कार्रवाई से बचे रहते हैं क्योंकि उनकी दलील होती है कि यह खाने का नहीं, पूजा के लिए है।

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