महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने टेनरिफ स्पेन में मनाया चंद्र नवमी उत्सव

महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने टेनरिफ स्पेन में मनाया चंद्र नवमी उत्सव
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शाहपुरा उदासीनाचार्य जगतगुरु चंद्र महाराज का 530वाँ प्राकट्य उत्सव श्री श्रीचन्द्र नवमी में रूप में गुरूवार 12.09.2024 नवमी भाद्रपद को सम्पूर्ण देश-विदेश में संतो महात्माओं एवं अनुयायियों द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया गया। आश्रम के महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन वर्तमान में यूरोप एवं यूके की विदेश यात्रा पर है। उन्होंने चन्द्र नवमी के अवसर पर स्पेन देश के टेनरिफ प्रान्त स्थित सनातन मन्दिर में अपने अनुयायीयों को उदासीनाचार्य चन्द्र महाराज की शिक्षाओं एवं चमत्कारों के बारे में बताया।

इस अवसर पर हरीशेवा धाम उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा में प्रातः 7 बजे गणेश भगवान का अभिषेक पूजन आरती की गई। तत्पश्चात हवन यज्ञ पूजन संपादित हुए। अन्नपूर्णा रथ के माध्यम से जरूरतमंदों के लिए प्रसाद वितरण हुआ। आचार्य चन्द्र का वैदिक मंत्रोचार के साथ अभिषेक, पूजन एवं आरती हुई। जिसमें संत मयाराम संत राजा राम बालक मिहिर संत श्रवण दास एवं अन्य अनुयायिगण सम्मिलित हुए। रोट प्रसाद का भोग लगाया गया। सांयकाल में पुष्कर के महंत हनुमानराम उदासीन ने भजन बाबा चंद्र बाबा हरीराम बाबा शेवाराम बाबा गंगाराम तुहिंजा बचिड़ा आहियूं करमन में थोड़ा कचिड़ा आहियूं प्रस्तुत किया तथा अपने प्रवचनों में आचार्य चन्द्र के चमत्कारों के बारे में व्याख्या की। इस अवसर पर हरीशेवा संस्थान के पदाधिकारी, ट्रस्टी, श्रद्धालुगण उपस्थित रहे। सभी ने चन्द्र सिद्धान्त सागर ग्रन्थ एवं बाबा जी के समक्ष शीश निवा कर सत्संग व दर्शन का लाभ प्राप्त किया। आरती प्रार्थना होकर भण्डारा हुआ।

इसके अतिरिक्त हरी शेवा संस्कृत शिक्षण प्रशिक्षण विद्यालय के तत्वावधान में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें विद्यार्थियों ने भाग लिया।

ज्ञातव्य है कि उदासीन पंथ के प्रणेता आचार्य चन्द्र महाराज का जन्म संवत् 1551 भाद्रपद शुक्ला नवमी को हुआ था। उन्होने सदैव देश, धरा, धर्म के प्रति समर्पण एवं त्याग करते हुए जीवन व्यतीत किया। उनकी लीलाए एवं चमत्कार के प्रमाण अनेक ग्रन्थ एवं ऐतिहासिक पुस्तको मे वर्णित होना बताया। उदासीनाचार्य चंद्र महाराज ने धर्म की रक्षा के लिए एवं धर्मांतरण को रोकने के लिए अनेक कार्य किए। वे कई रिद्धि सिद्धियों के अवतार थे। उनके गुरु अनंत विभूषित अविनाशमुनि जी उदासीन थे।

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