भीलवाड़ा। जीवन में पैसे की प्राप्ति दुर्लभ हो सकती है लेकिन उससे भी अधिक दुर्लभ जीवन में धर्म से जुड़ाव है। धन से अधिक महत्व जीवन में धर्म का है। धर्म से जिसका जुड़ाव हो गया उसके दुःखों का अंत होकर सुख की प्राप्ति होती है। ये विचार आगमज्ञाता प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनि ने सोमवार को बापूनगर के महावीर भवन में प्रवचन में व्यक्त किए। भीलवाड़ा के शांति भवन में आगामी चातुर्मास करने जा रहे पूज्य समकितमुनि ने कहा कि चातुर्मास की अवधि जीवन में बदलाव का समय है। जीवनशैली में ऐसा बदलाव होना चाहिए जिससे महसूस हो कि चातुर्मास आ गया है। उन्होंने कहा कि अपनी दिनचर्या में बदलाव कर संतो ंके प्रवचन सुनने का समय अवश्य निकालना चाहिए। नियमित प्रवचन सुनने पर जीवन में सकारात्मक बदलाव अवश्य महसूस होगा। उन्होंने कहा कि हमे इस तरह अपनी दिनचर्या सेट करनी चाहिए कि धर्मलाभ लेने के लिए समय मिल सके। उन्होंने कहा कि हमे घर के कार्यो में दूसरों पर निर्भरता कम करके आत्मनिर्भर बनना चाहिए, इससे धर्म संदेश सुनने के लिए समय भी निकाल सकेंगे। पूज्य समकितमुनि ने शांति भवन में 10 जुलाई को चातुर्मासिक प्रवेश के बाद 12 से 14 जुलाई तक होने वाली सामूहिक तेला तप आराधना में भी अधिकाधिक सहभागिता का आग्रह किया। धर्मसभा में गायनकुशल जयवंत मुनि ने भी प्रवचन देते हुए श्रावक-श्राविकाओं को धर्मपथ पर चलने के लिए प्रेरित किया। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भावन्त मुनि का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। बापूनगर श्रीसंघ के मंत्री अनिल विश्लोत ने महावीर भवन पधारने पर संत प्रवर का वंदन अभिनंदन किया। उन्होंने बताया कि समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा-3 के प्रवचन मंगलवार को भी सुबह 8.45 से 9.45 बजे तक बापूनगर महावीर भवन में ही होंगे।