ओपिनियन

15 July 2025 7:56 AM IST
मित्र आनंद के इस मौसम में और क्या चाहते हो?
भ्रष्टाचार की धारा में डूब रही शहर की नैया, बारिश खोल देती कुशासन की पोल
रील्स को देख रहे लेकिन जिंदगी और वास्तविक रिश्तों से दूरी
मास्टर  जी की छड़ी खो गई, खत्म हो रहा अनुशासन
बीमारी, दवा और सावधानी
खुश करने वाली खबरों का तांता, ...
जेब काली, बदले जमाने में  मोबाइल.....
मुफ्त की रेवड़ी क्या बन रही है मुसीबत!
सप्ताह की प्रमुख ख़बरों पर व्यंग्यकार की चुटकी
शुभकामना… श्राद्धपक्ष की
धरती पर चांद