ओपिनियन

2 Aug 2025 3:15 AM
नकली के सामने पानी भरता है  भारत में असली
बेटे की शादी न होने का गम साल रहा है ,कितने माता-पिता को ...
रसोई तो है पर वो सुगन्ध कहां उड़  गई !
धंधेवाले के पहली प्राथमिकता होती है  धंधा ...
मित्र आनंद के इस मौसम में और क्या चाहते हो?
भ्रष्टाचार की धारा में डूब रही शहर की नैया, बारिश खोल देती कुशासन की पोल
रील्स को देख रहे लेकिन जिंदगी और वास्तविक रिश्तों से दूरी
मास्टर  जी की छड़ी खो गई, खत्म हो रहा अनुशासन
बीमारी, दवा और सावधानी
खुश करने वाली खबरों का तांता, ...
जेब काली, बदले जमाने में  मोबाइल.....