साहित्य

14 Sep 2024 10:05 AM GMT
शिक्षक दिवस विशेष....हमारे शिक्षक.....
आप मुझे ‘चटपटी जी’ कह सकते हैं
राखी
जमीं पर आ गिरा वह, जो उड़ता आसमान में है .....
अथ श्री बजट चालीसा
इंसानियत कितनी खो गई
न तालाब में न बावड़ी में और न ही अब आखों में पानी
नेह का नूर चाहिए.......
वो जगत में हमें लाया है ....
प्रस्फुटन .....
ऊफ .....ये गर्मी ....