23 दिन में सीआरपीएफ के दो इंस्पेक्टर और एक एसआई सहित 10 जवानों ने की आत्महत्या

23 दिन में सीआरपीएफ के  दो इंस्पेक्टर और एक एसआई सहित 10 जवानों ने की आत्महत्या
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देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ' में महज 23 के भीतर दो इंस्पेक्टर और एक एसआई सहित 10 जवानों ने आत्महत्या कर ली है। इनमें से एक इंस्पेक्टर की बॉडी पंखे से झूलती हुई मिली तो दूसरे ने अपनी राइफल से खुद को गोली मार ली। एसआई ने अपने गले में फंदा लगाकर जान दे दी। सीआरपीएफ में पिछले पांच वर्ष के दौरान 240 से अधिक जवान आत्महत्या कर चुके हैं। अगर सभी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की बात करें तो पांच वर्ष के दौरान 654 से अधिक जवानों ने आत्महत्या कर ली है। इस तरह की घटनाओं पर गृह मंत्रालय और बल की तरफ से एक ही जवाब मिलता रहा है कि संबंधित जवान को किसी तरह की कोई पारिवारिक समस्या रही होगी। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, संसद में जवाब देते हैं कि इन बलों में आत्महत्याओं और भ्रातृहत्याओं को रोकने के लिए जोखिम के प्रासंगिक घटकों एवं प्रासंगिक जोखिम समूहों की पहचान करने तथा उपचारात्मक उपायों से संबंधित सुझाव देने के लिए एक कार्यबल का गठन किया गया है। कार्यबल की रिपोर्ट तैयार हो रही है। 

  

10 जवानों द्वारा आत्महत्या करने का सिलसिला
12 अगस्त को पुलवामा स्थित 112 बटालियन के सिपाही अजय कुमार ने आत्महत्या कर ली थी। वे झारखंड के रहने वाले थे। 15 अगस्त को इंस्पेक्टर चित्तरंजन बारो (45 वर्ष) ने असम स्थित बल की 20 बटालियन में अपना जीवन खत्म कर लिया। वे मूल रूप के असम के ही कामरूप जिले के रहने वाले थे। अभी उनकी सेवा को 19 साल पूरे हुए थे। सुबह सात बजे उन्होंने अपने गले में फंदा लगा दिया। घटना के वक्त इंस्पेक्टर के हाथ और पांव बंधे हुए थे। उनके गले में जो रस्सी थी, उसी से उनके हाथ बंधे हुए थे। पांव, किसी दूसरे कपड़े से बंधे हुए मिले। 17 अगस्त को सिपाही राहुल कश्यप ने ग्रुप सेंटर जीएनआर में अपना जीवन खत्म कर लिया। वे उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। 19 अगस्त को छत्तीसगढ़ स्थित 210 कोबरा में इंस्पेक्टर शफी अख्तर ने अपनी राइफल से खुद को गोली मार ली थी। वे मूलत: दिल्ली के रहने वाले थे। 

एक ही दिन में दो जवानों ने की आत्महत्या
19 अगस्त को सिपाही जगदीश प्रसाद मीणा ने आत्महत्या कर ली थी। यह घटना झारखंड स्थित 158 बटालियन में हुई। वे राजस्थान के रहने वाले थे। 25 अगस्त को ओडिशा स्थित बल की 127 वीं बटालियन में हवलदार रमेश सी. लाल ने अपना जीवन खत्म कर लिया। वे केरल के रहने वाले थे। एक सितंबर को ग्रुप सेंटर काठगोदाम में एसआई नरेश कुमार ने आत्महत्या कर ली। वे यूपी के रहने वाले थे। दो सितंबर को जम्मू कश्मीर स्थित सी/4 बटालियन के हवलदार विशिष्ट नारायण यादव ने आत्महत्या कर ली। वे बिहार के रहने वाले थे। दो सितंबर को श्रीनगर स्थित 54वीं बटालियन के सिपाही संजय कुमार ने अपना जीवन समाप्त कर लिया। वे दिल्ली के रहने वाले थे। 4 सितंबर को भोपाल स्थित डी/107 बटालियन के सिपाही मोगली सुधाकर ने अपना जीवन समाप्त कर लिया। वे तेलंगाना के रहने वाले थे। 


पांच साल में 654 से ज्यादा जवानों ने की आत्महत्या
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ, असम राइफल्स और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड में जवानों व अधिकारियों द्वारा आत्महत्या करने के मामले कम नहीं हो पा रहे हैं। गत पांच वर्ष में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 654 से अधिक जवानों ने आत्महत्या कर ली है। आत्महत्या करने वालों में CRPF के 240, बीएसएफ के 174, सीआईएसएफ के 89, एसएसबी के 64, आईटीबीपी के 51, असम राइफल के 43 और एनएसजी के 3 जवान शामिल हैं। बजट सत्र के दौरान गृह मंत्रालय की संसदीय समिति ने अपनी 242 वीं रिपोर्ट में कहा था कि आत्महत्या के केस, बल की वर्किंग कंडीशन पर असर डालते हैं। सेवा नियमों में सुधार की गुंजाइश है। जवानों को प्रोत्साहन दें। रोटेशन पॉलिसी के तहत पोस्टिंग दी जाए। लंबे समय तक कठोर तैनाती न दें। ट्रांसफर पॉलिसी ऐसी बनाई जाए कि जवानों को अपनी पसंद का ड्यूटी स्थल मिल जाए। अगर ऐसे उपाय किए जाते हैं तो नौकरी छोड़कर जाने वालों की संख्या कम हो सकती है

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