12 लाख केमिस्ट केंद्र के खिलाफ करेंगे आंदोलन , दवाओं की ऑनलाइन बिक्री बंद करने की चेतावनी

भीलवाड़ा हलचल भीलवाड़ा ही नहीं पूरे देश में ऑनलाइन बेची जा रही दावों के विरोध में अब देश भर के दवा विक्रेता आंदोलन पर उतारू है और उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का ऐलान कर दिया है साथ ही चेतावनी दी की ऑनलाइन दावों के साथ ही बिना रजिस्ट्रेशन के डॉक्टर एस कंसल्टेशन भी बंद किया जाना चाहिए।
इंदौर में दवा विक्रेताओं के सम्मेलन के दौरान यह फैसला किया गया है वहां से दूर पास पर मिली जानकारी के अनुसार दवा विक्रेता अब किसी कीमत पर ऑनलाइन बिक्री के प्रति सहमत नहीं है।बिना किसी नियम और कानून के भारत में दवाएं ऑनलाइन बेची जा रही हैं। कई वेबसाइट ऑनलाइन डाक्टर्स भी उपलब्ध करवा रही हैं। केंद्र सरकार ने इनकी जांच और निगरानी के लिए कोई सिस्टम नहीं बनाया है। हमने केंद्र सरकार से मांग की है कि यदि दवाओं की ऑनलाइन बिक्री और डाक्टर्स का ऑनलाइन कंसल्टेशन बंद नहीं हुआ तो जल्द ही देश के 12 लाख 50 हजार से अधिक केमिस्ट और ड्रगिस्ट आंदोलन शुरू करेंगे। इसी की रूपरेखा बनाने के लिए हम देशभर से इंदौर में जुटे हैं। यह बातें ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) के अध्यक्ष जगन्नाथ शिंदे और महा सचिव राजीव सिंघल ने कही। उन्होंने कहा कि हमने सरकार को इस विषय में पूरी जानकारी और कई सलाह भी भेज दी है यदि सरकार इस मसले पर मनमानी करेगी तो हमें जल्द ही बड़े आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा।
शिंदे और सिंघल ने कहा कि कुछ दवाओं का उपयोग नशे के रूप में भी किया जाता है। ऑनलाइन वेबसाइट्स के माध्यम से इस तरह की दवाएं भी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। इन दवाओं को मेडिकल स्टोर से नहीं खरीदा जा सकता। इससे अपराध बढ़ रहे हैं और लोगों को नुकसान हो रहा है।
डाक्टर्स का ऑनलाइन कंसल्टेशन नहीं होना चाहिए
शिंदे और सिंघल ने कहा कि कई वेबसाइट्स ने इन दिनों डाक्टर्स का ऑनलाइन कंसल्टेशन शुरू किया है। इसमें सामने वाला डाक्टर है भी या नहीं है यह कैसे पता चलेगा। कोई भी सफेद कोट पहनकर दवा लिख देता है और वह दवा उसी वेबसाइट से ऑनलाइन बुलाई जा सकती है। डाक्टर भी वही दवा लिखता है जो वेबसाइट बेचने के लिए उन्हें कहती है। इसके लिए सरकार को आधार नंबर से लिंक करके ईरजिस्ट्रेशन करवाना होगा वरना फर्जी डाक्टर बनकर लोग मरीजों का इलाज करते रहेंगे।
एआईओसीडी नेशनल फार्मेसी कमीशन के गठन पर अपनी आपत्ति दर्ज करेगा। एआईओसीडी की राय है कि यह नेशनल फार्मेसी कमीशन राज्य से संबंध रखने वाली फार्मेसी पेशेवरों के ऑटोनॉमस / डेमोक्रेटिक संस्था स्टेट फार्मेसी काउंसिल की जगह लेगा। यह निर्णय एकतरफा है, इसमें कम्युनिटी फार्मासिस्टों की बड़ी संख्या को ध्यान में नहीं रखा गया है, जिन्होंने भारत में एक मजबूत फार्मास्युटिकल व्यापार का निर्माण किया है। दूसरे, फार्मेसी काउंसिल में सदस्यों के चुनाव की लोकतांत्रिक प्रक्रिया गायब है, सरकार द्वारा नियुक्त सदस्यों, यहां तक कि गैर-फार्मासिस्टों को भी प्रस्तावित किया गया है यहां तक कि शैक्षणिक/शिक्षण क्षेत्र से भी, जिससे कमीशन के कामकाज में असंतुलन हो सकता है। यह केंद्र सरकार की नीति-सबका साथ सबका विकास के खिलाफ है।
शिंदे और सिंघल ने बताया कि इंदौर में 16 और 17 दिसंबर को ब्रिलियंट कनवेंशन सेंटर में संगठन की आम सभा होने वाली है। इस आम सभा में 32 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के केमिस्ट की भागीदारी देखने को मिलेगी। आम सभा की थीम ‘सक्षम केमिस्ट स्वस्थ भारत’ है जिसका उद्देश्य केमिस्ट वर्ग को और अधिक सक्षम बनाना है ताकि सबकी सेवा हो सके और मानवता स्वास्थ्य लाभ से अछूती न रहे।
