पानी की मांग को लेकर जल समाधी के साथ किया आंदोलन
पानी की मांग को लेकर जल समाधी के साथ किया आंदोलन
चित्तौड़गढ़। जिले के कपासन में मातृकुंडिया बांध से कपासन क्षेत्र मंे पानी की किल्लत को दूर करने की मांग को लेकर क्षेत्रवासियों जलसमाधी लेकर अनोखा आंदोलन किया। तिरंगे के साथ हजारों की तादाद में महिला-पुरूषों ने बनास नदी में अर्ध जल-समाधि लेकर कपासन का तालाब भरो आंदोलन की शुरूआत की। दशकों से पेयजल संकट से जूझ रहे कपासन कस्बे और उसके आस-पास के ग्रामीण हाथ में तिरंगा लेकर भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारे लगाते हुए पछमता पंचायत के सिंदेश्वर में बनास नदी में प्रवेश किया। महिलाओं और पुरूषों में इस बात का जमकर आक्रोश था कि क्षेत्र में भारी बारिश होने के बावजूद जिले के कपासन, धमाणा और ढिंढोली के तालाब सूखे हैं, जबकि इन तालाब से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही बनास नदी बह रही है। बनास नदी का पानी कपासन से 20 किलोमीटर दूर मातृकुंडिया बांध में इकट्ठा होने के बाद में जयपुर के बीसलपुर बांध तक जा रहा है, लेकिन कपासन की 40 हजार की आबादी का पेयजल का प्रमुख स्रोत राजराजेश्वर तालाब दशकों से सूखा रहता आया है। पानी में कमर तक के हिस्से में बैठी महिलाओं का यही कहना था कि आधा मानसून बीत चुका है। लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया। हर साल की यही कहानी है। हम अपने बच्चों का कहां से पानी पिलाएं। मवेशियों के लिए कहां से पानी पिलाएं। कपासन, धमाणा, डिंडोली और भोपालसागर की जनता का दुर्भाग्य ही है कि इनकी आवाज को क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और जयपुर में आई सरकारों ने नहीं सुना। संगठन के रणनीतिकार घनेन्द्र सिंह सरोहा ने कहा कि राज्य सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने के लिए ही संगठन ने क्षेत्रीय जनता के साथ मिल इस जलसमाधि आंदोलन की शुरूआत की है। जबतक सरकार मांगों की पूर्ति नहीं करेगी, बनास नदी के पेटे में आंदोलन अनिश्तिचकाल तक जारी रहेगा।