भव्यता के साथ संपन्न हुआ एक शाम लोकतंत्र के नाम कवि सम्मेलन, रात 2 तक बही रस धार

भव्यता के साथ संपन्न हुआ एक शाम लोकतंत्र के नाम कवि सम्मेलन, रात 2 तक बही रस धार
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नाथद्वाराDarpan Paliwal । गुलाबी गणगौर के अवसर पर नाथद्वारा में एक शाम लोकतंत्र के नाम विषय पर आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में हास्य - व्यंग , श्रृंगार , ओज और वीर रस की ऐसी काव्य धारा बही की श्रोता भाव विभोर हो  गए।
मीडिया पब्लिकेशन की ओर से वल्लभ विलास सभागार में आयोजित  कवि सम्मेलन में कवियों ने  देर रात 2 बजे तक श्रोताओं को बांधे रखा।
हास्य विद्या के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि बुद्धि प्रकाश दाधीच ने अपनी सुप्रसिद्ध रचना मुस्कुराहट के दम पर गम को सीना जान गए , पी कर भी ना बहके तो समझो पीना जान गए , दर्द और कड़वे वचन भी जब से सहन होने लगे तब समझ लेना बुद्धि तुम जीना जान गए सुना कर दर्शकों को भाव विभोर कर खूब तालियां बटोरी अपनी दूसरी काव्य रचना में कवि ने युवाओं के कुंवारेपन की मनस्थिति और व्यथा बताते हुए बुद्धि प्रकाश ऐजी म्हारा आवे रे डील में हेरा रे .. घर का पूत कुंवारा डोले यजमाना का फेरा सुना कर पूरे पंडाल को इतना हर्षित किया कि देर तक तालियां बजती रही।
वीर रस के प्रसिद्ध कवि सिद्धार्थ देवल के कुशल संचालन में गतिमान हुए कवि सम्मेलन को पूरी ऊंचाई पर प्रदान करते हुए उन्होने राष्ट्र के स्वाभिमान पर वीर कल्ला जी के साहसिक व्यक्तिव एवं कृतित्व पर वीर रस में श्रृंगार का अद्भूत संयोजन कर  " देश प्रथम हो यही सोच इच्छाएं मार रही हूं , मैं सूर्यवंश पर निज सुहाग की घड़ियां वार रही हूं। मैं रक्त तिलक से विदा कर रही जाओ वीर समर में कुछ कायरों ने सेंध लगाई है मेवाड़ी धर में। सूना कर श्रोताओं के हाथ खोल दिए वहीं उज्जैन से आए ओज विधा के कवि राहुल शर्मा ने कहा कि मैं नटराज की नगरी से रसराज की नगरी में राम का सन्देश लेकर आया हूं " राम की कृपा बिना ना कोई जन्म ले सका है राम जी से ही बना ये समस्त आधार है सुनाकर पूरे पंडाल को तालियों से गुंजायमान कर दिया।
कवि सम्मेलन के सूत्रधार राजसमंद के हास्य कवि जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर  पर अपनी छाप छोड़ी उन्होने सहज हास्य के साथ यह पीपल के पत्तों की सरसराहट यही कहती है तेरी मां के यादों के सुनहरे पल यही रहते हैं  सुना कर श्रौताओं को खूब  गुदगुदाया।
स्थानीय वीर रस के कवि जितेंद्र पालीवाल ने शिव आदी शिव अनादि शिव अनंत है, राख को जो सजा ए तन पर लीन वो महंत है। सुनाई वही स्थानीय केलवा की नवोदित कवियित्री भावना लोहार ने उम्र के साथ में हर चीज घटती मगर ये सच उम्र के बीत जाने पर भी मोहब्बत कम नहीं होती सुनाकर श्रोताओं को श्रंगार रस में डुबोया।
नाथद्वारा के ख्यातनाम हास्य कवि कानू पंडित ने तो श्रोताओं को इतना हंसाया इतना हंसाया कि पेट में बल पड़ गए जब कानू पंडित अपनी रचना पढ़ रहे थे तो हंसी के ठहाकों के साथ तालियां लगातार बजती रही कानू पंडित ने बरगद नीम और अंबुआ की छांव जरुरी है इसलिए इस हिंदुस्तान में गांव जरुरी है सुनाकर अपनी विशेष छाप छोड़ी।
मधुर गीतकार पुष्पेंद्र पुष्प बड़नगर ने प्रेम पूजा हवन है अनुष्ठान है प्रेम नानक है महावीर है प्रेम ही भगवान है। प्रेम में एक पत्ता भी भारी पड़ता है ।  तुलसी का तुम भी क्या एक पत्ता बन पाओगे जब मुझे छोड़कर तुम चले जाओगे सुनाकर सभी को प्रेम रस में डुबो दिया।
कवि सम्मेलन में उदयपुर से आए शायर संपत कबीर ने मेरी मां की दुआ पर दस्तखत करता है जो मेरे सर पर हाथ लगाता है वह पत्थर टूट जाता है। आज रोटी कुछ खारी लगी शायद मां आज कुछ ज्यादा रोई है । कवि सम्मेलन में नरेंद्र सिंह रावल ने भी अपनी रचना पेश की इससे पूर्व मीडिया पब्लिकेशन के निदेशक अरविंद मुखिया जगदीश सोनी एवं परेश सोनी ने सभी कवियों एवं अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता फतेहलाल बोहरा, पूर्व पार्षद एवं समाजसेवी नरेश पालीवाल,पार्षद प्रमोद गुर्जर, पूर्व उपसरपंच राखी पालीवाल, मदन पथिक विहार धाम के अध्यक्ष मांगीलाल लोढ़ा,श्रीजी परिवार के प्रमुख मदन महाराज, समाजसेवी कोमल सोनी खमनोर, बार एसोसिएशन के सचिव अनुजीत मुखिया , दिनेश स्वर्णकार,युवा नेत्री विमला वागरेचा सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे । इस अवसर पर सरस्वती पुत्रों एवं अतिथियों का आयोजको की ओर से श्रीनाथजी की छवि प्रसाद उपरना भेट कर स्वागत किया गया।

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