अंजू-सीमा विवाद: बिना तलाक लिए मुस्लिम महिला की शादी को लेकर क्या है प्रावधान? सवाल पर मुफ्तियों ने दिया जवाब
देवबंद इस्लाम धर्म में बिना तलाक लिए दूसरी शादी का क्या प्रावधान है? इस सवाल पर मुफ्तियों का कहना है कि बिना तलाक लिए महिला दूसरी शादी नहीं कर सकती। इसके लिए उसे शरई अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। काजी के जरिये उसे पहली शादी खत्म करनी होगी। तभी वह किसी दूसरे शख्स से शादी कर सकती है।
मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि जब तक शौहर तलाक नहीं देगा तब तक महिला दूसरी शख्स के साथ निकाह नहीं कर सकती। अगर शौहर के साथ निभाओ नहीं हो रहा है और वह बहुत ज्यादा परेशान कर रहा है तो शरीयत ने औरत को खुला का हक दिया है।
मुफ्ती असद ने कहा कि हमारे जो इमारतें शरीया (शरई अदालतें) होते हैं। उनमें कोर्ट की तरह ही प्रक्रिया होती है। इमारतें शरीया के जो काजी होते हैं, वो लड़के वालों को नोटिस भेजकर बुलवाते हैं। जिसके बाद दोनों पक्षों को बैठाकर उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं। यदि उसके बाद भी मसले का हल नहीं होता काजी निकाह को खत्म करा देते हैं। दिया है।
फतवा ऑनलाइन के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारुकी का कहना है कि दोनों (पति-पत्नी) के बीच जब तक शरई जुदाई न हो तब तक दूसरा निकाह नहीं किया जा सकता। कहा कि जुदाई के भी कई तरीके हैं।
पहला तरीका यह है कि मर्द की मौत हो जाए, दूसरा तरीका है कि वो तलाक दे दे और तीसरा तरीका यह है कि औरत खुला ले ले। यानि काजी दोनों के दरमियान निकाह को तुड़वा दे। जब तक शरई तौर पर पहला निकाह खत्म नहीं होता दूसरा निकाह नहीं हो सकता।
मुफ्ती अरशद फारुकी का कहना है कि अगर किसी लड़की ने इस्लाम धर्म छोड़कर दूसरा धर्म अपना लिया और उसी धर्म की परंपराओं के मुताबिक उसने शादी कर ली तो अब वह जो चाहे करे यह उसकी मर्जी है।