एक और घपला होगा उजागर
ईडी के बाद अब सीएजी ने भी पेयजल से जुड़ी सरकारी परियोजनाओं में खर्च प्रक्रिया को लेकर जांच बिठा दी है। वित्त (मार्गोपाय) विभाग ने पेयजल परियोजना आरडब्लूएसएससी में पेयजल के यूजर चार्जेज की राशि बिना विधानसभा से अनुमति सीधे पीडी खातों में ट्रांसफर करने की अनुमति दे दी। यह न सिर्फ विधायिका का विशेषाधिकार हनन के दायरे में आता है, बल्कि संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ भी है। सीएजी ने एक बार इस आपत्ति जातते हुए वित्त (मार्गोपाय) विभाग से स्पष्टिकरण देने को कहा है। हालांकि इस संबंध सीजीए पहले भी राज्य सरकार को तीन चिट्ठी लिख चुका है लेकिन वित्त (मार्गोपाय) विभाग के अधिकारियों ने इस पर कोई जवाब तक देना जरूरी नहीं समझा।
इससे नाराज होकर सीएजी ने अब स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस प्रकार नियम विरुद्ध खर्च की गई राशि की सूचना तत्काल प्रस्तुत करें। साथ ही यह भी हिदायत दी है कि जल राजस्व एवं व्यय का लेखांकन पूर्व प्रक्रिया के अनुसार नियमानुसार बजट शीर्ष क्रमश: 2015 एवं 4215 के अंतर्गत ही किया जाए।
क्या है घोटाला?
तत्कालीन गहलोत सरकार में वित्त ( मार्गोपाय) विभाग ने विधानसभा को बताए बिना ही बजट मद 0215 में प्राप्त राजस्व को राजस्थान जल प्रदाय एवं सीवरेज निगम (आरडब्लूएसएससी) के पीडी अकाउंट में जमा करवाकर इसे विधायिका की अनुमति लिए बिना सीधे खर्च करने संबंधित आदेश पारित कर दिया गया था जो कि नियम विरुद्ध है। विधानसभा भी इस मामले को लेकर वित्त ( मार्गोपाय) विभाग के अधिकारियों पर विशेषाधिकार हनन की कार्रवाई कर सकती है।