भाजपा प्रत्याशी राजवी टिकट मिलने के बाद नवें दिन पहुचे चित्तौड

भाजपा प्रत्याशी राजवी टिकट मिलने के बाद नवें दिन पहुचे चित्तौड
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चित्तौड़गढ़। आगामी विधानसभा चुनाव में चित्तौड़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में वर्तमान विधायक चंद्रभान सिंह आक्या का टिकट कांटकर भाजपा द्वारा दूसरी सूची में गत 21 अक्टूबर को विद्यानगर विधायक नरपत सिंह राजवी को चित्तौड़ का प्रत्याशी घोषित करने के नवें दिन आखिर वें डेढ दशक पूर्व के अपने कार्य क्षेत्र में एक बार फिर पहुंचे, जहां भाजपा के संसदीय क्षेत्र के पदाधिकारियों ने स्वागत करते हुए चुनावी बागडोर संभाली। विधायक चंद्रभान सिंह आक्या का टिकट काटकर बाहरी प्रत्याशी के रूप में रावजी प्रत्याशी घोषित करने पर चित्तौड़ विधानसभा क्षेत्र सहित जिले एंव आसपास के क्षेत्रों में भाजपा स्पष्ट रूप से दो खेमों में बटती नजर आ रही है। चित्तौड़ विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो आक्या कटने के साथ ही उनके समर्थकों प्रतिदिन सैलाब उमड़ रहा है। हर आयु वर्ग के लोग आक्या के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए प्रदेश एंव शीर्ष नेतृत्व से टिकट में बदलाव की मांग करते रहे है लेकिन उच्च स्तरीय सूत्रों के अनुसार आम जनता की आवाज को अभी तक नजर अंदाज किया जा रहा है। इधर राजवी को टिकट देने के बाद से प्रदेशाध्यक्ष के निर्देश पर जिला भाजपा ईकाई के कुछ पदाधिकारी एंव संसदीय क्षेत्र के पदाधिकारी भले ही पार्टी समर्थक के रूप में राजवी का उपरी मन से साथ दे रहेे हो लेकिन यदि आक्या के सम्बन्ध में बात की जाए तो क्षत्रिय समाज के साथ ही सर्व समाज एंव नारी शक्ति द्वारा भी उन्हें प्रबल समर्थन देकर चुनावी रण में मजबूती के साथ आगे बढने के लिये संबल प्रदान करने में कोई कसर नहीं रख रहे है। जिसके चलते राजवी के यहां पहुंचने पर मेड़ी खेडा के निकट गगरार क्षेत्र के लोगों ने स्वागत किया, जिसके बाद से वाहनों के साथ रोलाहेड़ा पहुचें जहां चंदेरिया मंडल के सदस्यों द्वारा स्वागत करने के पश्चात शहर के सुभाष चौक पर जिला पदाधिकारियों व संसदीय क्षेत्र के लोगों ने उनका स्वागत किया, जहां चित्तौड़ विधानसभा क्षेत्र के अधिकतर कार्यकर्ता नदारत रहेे। डेढ दशक पूव राजवी के दो बार यहां से जीतने मंत्री बनने के बाद जिले के लिये कुछ खास कार्य नहीं करने, विद्याधर नगर की सीट मिलने के बाद चित्तौड़ को भूल जाने, बाहरी प्रत्याशी के कारण भी लोग उनका लगातार विरोध कर रहे है। ऐसे में चुनाव में मात्र 25 दिन शेष रहते राजवी को विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं से सम्पर्क करने बड़ी चुनौती के साथ ही अपनी ही पार्टी के लोगों से वंचित व ग्रामीण क्षेत्र में विरोध झेलना पड़ सकता है। 
 

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