नकद लेन-देन की ओर बढ़ेगी भीलवाड़ा कपड़ा मंडी, आगामी तीन साल में प्रोडक्शन होगा 12 करोड़ मीटर प्रतिमाह

नकद लेन-देन की ओर बढ़ेगी भीलवाड़ा कपड़ा मंडी, आगामी तीन साल में  प्रोडक्शन होगा 12 करोड़ मीटर प्रतिमाह
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भीलवाड़ा हलचल/ बात सोचने वाली है 5 साल में डॉलर के भाव सबसे अधिकतम इस समय चल रहे हैं इसको देखते हुए ऐसा ज्ञात होता है की यार्न में कोई ज्यादा मंदी आने की संभावना नहीं है । एक्सपोर्ट के ऑर्डर सभी स्पिनिंग मिलों को काफी मिल रहे हैं व लेबर की परेशानी से कोई भी स्पिनिंग प्लांट पूरा नहीं चल रहा है ,यदि हमें अपनी मार्केटिंग सुचारू रूप से रखनी है यार्न की खरीददारी करते रहना चाहिए, यह कहना है टेक्सटाइल एवं यार्न के अनुभवी उद्यमी बी.जी. झंवर का।
उन्होंने कहा कि यार्न में वापस 4-5 रुपये किलो भाव बढ़ गये हैं। भीलवाड़ा के अंदर भी वीविंग प्लांट पूरी क्षमता से नहीं चल रहे हैं जब भी लॉकडाउन खुलेगा । बाजार में एकदम उछाल आ सकता है। कपड़ा पूरा नहीं मिलने के कारण प्रोसेस हाउस पूरा नहीं चल पा रहे हैं जो भी अभी कपड़ा वीविंग प्लांट में बन रहा है वह कपड़ा वीविंग प्लांट में ही पड़ा है जब भी लॉकडाउन खुलेगा एकदम प्रेशर बढ़ेगा। प्रोसेस हाउस में हो सकता है 50 पैसे से एक रुपए मीटर की वहां पर भी तेजी देखने को मिले। क्योंकि डाइस केमिकल के भाव बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं इसके साथ-साथ लेबर के भी पैसे बढ़ गए हैं। कुल मिलाकर आज के जो कपड़े के भाव है उससे कहीं से भी मंदी नहीं लगती।
झंवर का कहना है कि आज के इस माहौल को देखते हुए स्पिनिंग मिलों ने भी बाजार से अपनी उधारी समेटनी चालू कर दी है। भीलवाड़ा के जो बड़े ट्रेडर्स ने भी उधार देना कम कर दिया है। प्रोसेस वह वीविंग यूनिट पहले से ही काफी घाटे में चल रही है। इन सब को देखते हुए बाजार में हर कोई चाहता है कैश में काम हो। ऐसा महसूस हो रहा है कि आगे भीलवाड़ा मण्डी में कपड़ा कम मुनाफे में कैश की तरफ बढ़ेगी।
उनका मानना है कि आने वाले टाइम में भीलवाड़ा का प्रोडक्शन आगामी 3 सालों में 8 करोड़ मीटर से बढ़कर 12 करोड़ मीटर तक हो जायेगा। उसका प्रमुख कारण मुंबई के जो व्यापारी जिन्होंने मुंबई में यूनिट लगा रखी है अब उनका मानस भीलवाड़ा में भी उद्योग लगाने का हो रहा है। क्योंकि इस समय कोरोना के कहर के दौरान भीलवाड़ा ही एक ऐसी मंडी है जहां पर वीविंग उद्योग चालू है। यहां का प्रशासन व्यापारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है जो व्यापारियों का हौंसला बढ़ाने काफी मददगार साबित हो रहा है। श्री झंवर के अनुसार एक्सपोर्ट के जो व्यापारी है वह भी सीधा भीलवाड़ा के व्यापारियों को ऑर्डर दे रहे हैं उसका भी प्रमुख यही कारण है कि भीलवाड़ा एक ऐसी मंडी है जहां पर कैसी भी परिस्थिति आ जाए कारखाने चलते रहेंगे, जिसके कारण भीलवाड़ा पूरे विश्व में एक अपनी अलग पहचान बनाता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भीलवाड़ा एक ऐसी मंडी है जहां पर 30 रुपये मीटर से लेकर 300 रुपये मीटर तक का कपड़ा बन रहा है। यहां के व्यापारी सारे प्रोडक्ट्सबनाने में सक्षम है जो कि लूमों पर बन सकती है। दूसरी इस मण्डी की विशेष बात कि यहां का व्यापारी हमेशा यह चाहता है कि कम कॉस्टिंग में बढिय़ा कपड़ा हम कैसे बनाकर दे सकते हैं। इसके अलावा इंडिया के जितने भी बड़े ब्रांड है वे सभी अपना कपड़ा भीलवाड़ा बना रहे हैं यह भी सभी का सर्वविदित है।
मेरा मानना है कि कोरोना के चलते मध्यम स्तर के टेऊडर्स एवं आर्थिक संकट के चलते कई व्यापारी कारोबार से बाहर हो जायेंगे एवं व्यापार सक्षम निर्माताओं की ओर मुड़ जायेगा। व्यापार चलना भी तय है क्योंकि पिछले 2 साल से कपड़ा व्यापार स्लो मोशन में चल रहा है जैसे ही पूरा भारत कोरोना से मुक्त हो जायेगा सभी लोग खुलकर व्यापार करेंगे और डिमाण्ड भी अचानक से तेज होगी। वेक्सीनेशन के चलते भी सकारात्मक माहौल बनता जा रहा है। अत:कपड़ा व्यापार का भविष्य तो बेशक बहुत उज्ज्वल नजर आ रहा है लेकिन वर्तमान उतार-चढ़ाव में हम सभी को सुरक्षित रहते हुए सही समय का इंतजार है लेकिन उसकी तैयार भी काफी लाभदायक हो सकती है।

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