आगूचा में 3 अक्टूबर को धूमधाम से भरेगा भूरा बाबा का मेला

आगूचा। आज से करीब 250 वर्ष पूर्व अजमेर जिले के केकड़ी तहसील के खवास ग्राम में सात राजपूत भाई थे एक बार शत्रुओं से लड़ते समय सातों भाइयों के सर शत्रुओं द्वारा काट दिए गए लेकिन एक बड़ा भाई भूर सिंह अपने धड़ के सहारे भी लड़ता रहा और अंत में वीरगति को प्राप्त हुआ यही भूर सिंह आगे चलकर भूरा बाबा के नाम से विख्यात हुआ और उन्हें सती माता गौरा और पारा के साथ ही आगूचा में प्रतिमा रूप में स्थापित किया गया।
श्रद्धा का दर्पण
स्थानीय ग्राम आगुंचा के मध्य में स्थित एक देवधाम है जिसे भूरा बाबा धाम कहा जाता है भूरा बाबा धाम के पुजारी दामोदर उपाध्याय ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 3 अक्टूबर को आगुंचा बस स्टैंड प्रांगण में पूरा बाबा का मेला धूमधाम से भरेगा साथ ही इसमें कस्बे के अलावा भोजराज,रामपुरा,भेरू खेड़ा, परसरामपुरा,इंदिरा का खेड़ा, भगवानपुरा,चेनपुरिया, मुंलजी का खेड़ा, अमरतिया, बराठिया,ऊर्जा का खेड़ा सहित आसपास के गांव के ग्रामीण शिरकत करेंगे साथ ही दोपहर में मंदिर प्रांगण से गांव के मुख्य मार्ग से होती हुई भूरा बाबा की बंदोरी(ज्योत)बस स्टैंड स्थित तेजाजी के थान पर पहुंचेगी इस दौरान पुलिस बंदोबस्त की माकुल व्यवस्था रहेगी
बिस्तर में काले बिच्छू का चमत्कार
आज से करीब 200 वर्ष पहले बगीची वाले बालाजी के महंत सीताराम दास जी महाराज जब आगूचा पधारे तो उस समय वह मानसी नदी के तट पर रात्रि विश्राम के लिए रुके ठीक उसी समय भूरा बाबा का भाव के दौरान अपनी दिव्य ज्योति से मालूम पड़ा तो उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि यदि आगूचा की धरती को पावन बनाना चाहते हो तो एक संत मानसी नदी के तट पर विश्राम कर रहे हैं उन्हें बालाजी मंदिर पर आने के लिए निमंत्रण दो और यदि वह संकोच करे तो उन्हें कहना कि आपके बिस्तर के नीचे चार काले बिच्छू है ठीक वैसा ही हुआ बिस्तर के नीचे काले बिच्छू मिले तो संत भूरा बाबा की सिद्धि को समझ गए और बालाजी मंदिर में सेवा के लिए तैयार हो गए
चार पीडिया से भूरा बाबा का भाव अनवरत
सर्वप्रथम यह भूरा बाबा का भाव सुखदेव जी भोपा को आता था उनके देहावसान के बाद यह क्रमशः लादूराम जी भोपा रामदयाल जी भोपा को आने लगा रामदयाल जी भोपा के देवलोक गमन के पश्चात वर्तमान में यह भाव रामचंद्र उपाध्याय को आता है।