कोरोना के प्रसार को लेकर वैज्ञानिकों का बड़ा दावा, हवा के अलावा इस माध्यम से भी फैल सकता है वायरस
साल 2019 के आखिर से शुरू हुई कोरोना महामारी को चार साल से अधिक का समय बीत चुका है, इस दौरान वायरस में कई म्यूटेशन हुए। मौजूदा समय में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से निकले JN.1 सब-वैरिएंट का वैश्विक स्तर पर जोखिम देखा जा रहा है। ये वैरिएंट बहुत ही कम समय में 40 से अधिक देशों में फैल चुका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमण के कारण दिसंबर में दुनियाभर में 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई है। कई देशों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं जिसको देखते हुए वहां एक और संभावित लहर की आशंका जताई जा रही है।
कोरोना महामारी की शुरुआत से ही सार्स-सीओवी-2 को श्वसन संक्रमण वाला वायरस माना जाता रहा है। अध्ययनों के मुताबिक ये वायरस मुख्यरूप से हवा के माध्यम से संचरित होता है, हालांकि हालिया रिपोर्ट में वायरस के संचरण को लेकर वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा किया है। वैज्ञानिकों ने कहा, कोरोनावायरस हवा के साथ अपशिष्ट जल में भी हो सकता है जिसके माध्यम से संक्रमण का खतरा हो सकता है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एक रिपोर्ट में बताया है कि मध्यपश्चिमी राज्यों में अपशिष्ट जल में उच्च स्तर का वायरस हो सकता है, जो विशेषज्ञों के लिए चिंता बढ़ा रहा है।
अपशिष्ट जल से कोरोना का खतरा
क्या अपशिष्ट जल में भी कोरोना हो सकता है? इस बारे में अध्ययन कर रही वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि कई स्थानों पर किए गए अपशिष्ट जल परीक्षण में कोरोनावायरस का उच्च स्तर देखा गया है। इस परीक्षण को प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया था ताकि किसी स्थान पर कोरोना के खतरे को समझा और उसे कम किया जा सके।
सीडीसी ने 2020 में अपशिष्ट जल परीक्षण कार्यक्रम शुरू किया था, जो स्वास्थ्य विभागों को कोरोना के मामलों में संभावित बढ़ोतरी के लिए तैयार करने में मदद करने का एक तरीका है।
अपशिष्ट जल में रह सकता है वायरस
कोरोना किस-किस प्रकार के अपशिष्ट जल में हो सकता है इसे जानने के लिए शोधकर्ताओं ने देशभर में शौचालयों, सिंक और शॉवर के पानी का परीक्षण किया। वैज्ञानिकों का मानना था कि संक्रमित लोगों के माध्यम से वायरस का प्रसार हो सकता है भले ही उनमें लक्षण न हों। जिस पानी का वे उपयोग करते हैं, उसके माध्यम से भी वायरस के संचरण का खतरा रहता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोनावायरस अपशिष्ट जल में भी लंबे समय तक बना भी रह सकता है।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
मिसौरी में एसएसएम हेल्थ के मुख्य सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एलेक्स गार्जा कहते हैं अपशिष्ट जल में कोरोनावायरस का पाया जाना चिंता का कारण हो सकता है, लेकिन ये ज्यादा घबराने वाली बात नहीं है। परीक्षण के परिणाम बताते हैं कि किसी समुदाय के चारों ओर बड़ी मात्रा में वायरस मौजूद हो सकता है, हवा के साथ-साथ अपशिष्ट जल के माध्यम से भी इसका खतरा हो सकता है।
पर इस माध्यम से अब तक कोरोना के प्रसार का खतरा ज्यादा नहीं देखा गया है।
कोरोना और इसका जोखिम
वैज्ञानिक कहते हैं, अपशिष्ट जल भी कोरोना के प्रसार और जोखिमों के लिए एक संकेतक हो सकता है।
नवीनतम कोविड-19 का वैरिएंट JN.1, देश में वर्तमान कोरोना के मामलों का लगभग आधा हिस्सा है। यह पहले के वैरिएंट की तुलना में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अधिक आसानी से फैलता है, लेकिन यह ज्यादातर लोगों को गंभीर रूप से बीमार नहीं बनाता है। इस शोध से ये बात पता चलती है कि कोरोना सिर्फ हवा से ही नहीं एक और माध्यम से संक्रमण बढ़ाने का कारण बन सकता है, पर इसका जोखिम कितना है, क्या दूषित जल के संपर्क में आने से भी लोगों को ये संक्रमण हो रहा है, इस बारे में और अधिक शोध की आवश्यकता है।
सीडीसी और प्रमुख स्वास्थ्य संगठन इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।