भारत जोड़ो यात्रा के लिए बड़ा दिन,राहुल गांधी ने लाल चौक पर फहराया तिरंगा, श्रीनगर में विजयी विश्व तिरंगा प्यारा...की गूंज
भारत जोड़ो यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी है। रविवार दोपहर को राहुल गांधी ने लाल चौक पर तिरंगा फहराया। इस दौरान विजयी विश्व तिरंगा प्यारा से श्रीनगर गूंज उठा। आयोजन स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है। पदयात्रा सुबह पंथा चौक से शुरू जो श्रीनगर शहर के बुलेवार्ड रोड पर नेहरू पार्क के पास समाप्त होगी।
तीस जनवरी को एसके स्टेडियम में सार्वजनिक रैली की जाएगी। इसमें 23 विपक्षी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है। इसके बाद यात्रा का समापन होगा। इससे पहले सुरक्षा में चूक के घटनाक्रम के बाद शनिवार को तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के बीच चुरसू गांव अवंतिपोरा से यात्रा बहाल हुई।
इसके बाद यात्रा बिरला ओपन माइंड्स इंटरनेशनल स्कूल गैलेंडर पांपोर से होते हुए पंथा चौक पर पहुंची। पुलवामा से पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती और पार्टी से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता राहुल के साथ यात्रा में शामिल हुए। इसके अलावा पुलवामा में ही प्रियंका गांधी भी शामिल हुईं।
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा कश्मीर में ताजी हवा की सांस की तरह है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को 2019 के बाद पहली बार घरों से बाहर निकलने का मौका मिला है। केंद्र सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था और उसके बाद इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बाहर नहीं आने दिया गया।
राहुल के साथ चलना एक शानदार अनुभव था। यह बात महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट के जरिये कही। भारत जोड़ो यात्रा के लिए पहले से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। सुरक्षा बलों की ओर से यात्रा के शुरुआती बिंदु तक जाने वाली सभी सड़कों को सील कर दिया गया था।
केवल अधिकृत वाहनों और पत्रकारों को ही यात्रा स्थल तक जाने की अनुमति दी गई। राहुल गांधी के चारों ओर तीन स्तरीय सुरक्षा घेरा रहा। दक्षिण कश्मीर के चुरसू इलाके में उत्साही समर्थकों ने यात्रा का स्वागत किया। बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता और समर्थक तिरंगे व पार्टी के झंडे लेकर यात्रा में शामिल हुए। राहुल गांधी ने सफेद रंग की टी-शर्ट और स्लीवलेस जैकेट में में पदयात्रा शुरू की।
किस-किस ने कब फहराया तिरंगा?
इतिहास के पन्ने को पलट कर देखें तो देश आजाद होने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने सन् 1948 में लाल चौक पर तिरंगा फहराया था. उनके साथ तब की जम्मू-कश्मीर रियासत के प्रमुख शेख अब्दुल्ला भी थे. पं. नेहरू ने लाल चौक पर ही शेख अब्दुल्ला के साथ मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में विजय की घोषणा की थी. इसी दौरान पं. नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की बात कही थी. जो कभी संभव नहीं हो सका.
1992 में एमएम जोशी ने फहराया तिरंगा
लंबे अरसे के बाद सन् 1992 में गणतंत्र दिवस के मौके पर बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया था. तब देशभर में राम मंदिर आंदोलन भी जोरों पर जारी था. दिसंबर 1991 से कन्याकुमारी से ‘एकता यात्रा’ शुरू की गई थी. इस यात्रा में आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे. झंडा फहराने वालों में मोदी भी शामिल थे.
अलर्ट के बावजूद लहराया तिरंगा
लाल चौक का इतिहास बताता है जब भी राष्ट्रीय पर्व का मौका आता है, यहां आतंकी हमले का अलर्ट बढ़ जाता है. सुरक्षा कड़ी कर दी जाती है. खतरे को देखते हुए लाल चौक पर तिरंगा फहराना आसान नहीं होता. लेकिन 26 जनवरी 1992 को मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में यहां तिरंगा फहराया गया.
मुरली मनोहर जोशी का झंडा फहराना इसलिए भी अहम था क्योंकि लाल चौक पर घंटा घर बनने के बाद यहां तिरंगा नहीं फहराया गया था.
लाल चौक का इतिहास
श्रीनगर के लाल चौक का नाम मॉस्को के रेड स्क्वॉयर पर रखा गया था. सन् 1980 में यहां क्लॉक टावर का निर्माण किया गया था, जिसे घंटा घर कहा जाता है. इसका नाम लाल चौक रखने में वामदल के नेताओं का अहम योगदान था. बाद में लाल चौक क्रांति और परिवर्तन का प्रतीक बन गया. फिलहाल जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाये जाने के बाद राज्य में अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती की गई है.
लाल चौक पर राजनीति
लाल चौक पर तिरंगा फहराने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने टिप्पणी की है कि लाल चौक पर तिरंगा फहराना आरएसएस का एजेंडा है. कांग्रेस के इस बयान पर बीजेपी ने सख्त एतराज जताया है. बीजेपी का कहना है लाल चौक पर सियासत करना ठीक नहीं. जिस लाल चौक पर देश के पहले प्रधानमंत्री झंडा फहरा चुके हैं, वहां राहुल को झंडा फहराने से परहेज क्यों?