आदि मुद्रा के अभ्यास से सांस की बीमारियां होती हैं दूर, जानें इसे करने का तरीका

भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद की सेहत का ध्यान रखने के लिए भी लोग समय नहीं निकाल पाते हैं। व्यस्तता के कारण व्यायाम और योग से दूर हो जाते हैं। ऐसे में उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर गहरा असर पड़ता है। वहीं आज के दौर में लोगों को गलत जीवनशैली की आदत हो गई है। ऐसी लाइफस्टाइल और खानपान उनके जीवन का हिस्सा बन गया है जो सेहत पर नकारात्मक असर डालता है।
शारीरिक सक्रियता कम होने के कारण शरीर दर्द, श्वास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं व्यस्त जीवनशैली तनाव को जन्म दे सकती हैं, जिससे मानसिक सेहत भी बिगड़ सकती है। हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। योगासनों के अभ्यास से कई बीमारियों से बचा जा सकता है, कई स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पा सकते हैं और मानसिक सेहत को भी दुरूस्त कर सकते हैं।
योग की कई मुद्राएं होती हैं, जो शरीर के चैनल को सक्रिय करने में मदद करती हैं। इन योग मुद्राओं को उंगलियों की मदद से करते हैं, जिससे शरीर के रक्त प्रवाह बेहतर होता है, साथ ही श्वसन तंत्र की समस्याओं को दूर करने में सहायता मिलती है। इन्हीं योग मुद्राओं में आदि मुद्रा भी शामिल है, जो विशेषकर सांस संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक है। आइए जानते हैं आदि मुद्रा के अभ्यास के फायदे और इसे करने का चरणबद्ध तरीका।
आदि मुद्रा के फायदे
फेफड़ों की सूजन और इंफेक्शन से राहत
आदि मुद्रा का अभ्यास फेफड़ों की सूजन को कम कर सकता है। इस मुद्रा के अभ्यास से श्वसन तंत्र मजबूत होता है और श्वसन तंत्र व फेफड़ों की सूजन कम की जा सकती है। इसके अलावा आदि मुद्रा से फेफड़ों के इन्फेक्शन को भी कम किया जा सकता है। ऊर्जा का स्तर बेहतर होता है और श्वसन मार्ग के रोग, जैसे ब्रोंकाइटिस व अस्थमा कम करने में मदद मिलती है।
जुकाम में आराम
जुकाम और गले की समस्या का एक कारण श्वसन तंत्र में इंफेक्शन हो सकता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आदि मुद्रा का अभ्यास कर सकते हैं। इंफेक्शन को कम करने और जुकाम से राहत दिलाने के लिए आदि मुद्रा का अभ्यास सहायक है।
खर्राटे की समस्या करता है दूर
जिन लोगों को तेज खर्राटे की समस्या है, उन्हें आदि मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए। आदि मुद्रा तंत्रिका तंत्र को आराम देती है और खर्राटे को कम करने में मदद करती है। मस्तिष्क में ऑक्सीजन के प्रवाह मे सुधार कर सकते हैं और फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
आदि मुद्रा के अभ्यास का तरीका
स्टेप 1- आदि मुद्रा करने के लिए सुखासन में बैठकर आंखे बंद कर लें और मन को शांत करें।
स्टेप 2- अब हाथों को आपस में मिलाते हुए ध्यान सांस पर केंद्रित करें।
स्टेप 3- हाथ को मुट्ठी की तरह बंद रखते हुए अंगूठे को अंदर की ओर रखें।
इस आसन को 15 से 20 मिनट दोहराएं।