क्या बच्चों में भी हो सकता है इसका खतरा, जाने इनमें किस तरह की देखी जाती हैं स्वास्थ्य जटिलताएं?

वैश्विक स्तर पर पिछले तीन साल से अधिक समय से जारी कोरोना का संक्रमण कई प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बनता रहा है। डेल्टा जैसे वैरिएंट्स से संक्रमण की स्थिति में जहां गंभीर रोगों के विकसित होने का खतरा अधिक था, वहीं ओमिक्रॉन और इसके नए सब-वैरिएंट्स को अधिक संक्रामकता दर वाला पाया गया है। संक्रमण की जटिलताओं के साथ बीमारी से ठीक हो चुके लोगों में बनी रहने वाली लॉन्ग कोविड की समस्या, स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता का कारण रही है।
लॉन्ग कोविड का मतलब, संक्रमण से ठीक होने के बाद शरीर में बनी रहने वाली स्वास्थ्य समस्याएं। इसमें थकान-कमजोरी और सांस की दिक्कतों के साथ कुछ लोगों में हृदय रोग, पोस्ट कोविड जोड़ों की समस्या और अन्य कई जटिलताएं हो सकती हैं।
कुछ अध्ययन बताते हैं कि संक्रमण का शिकार रहे बच्चों में भी लॉन्ग कोविड समस्याओं के विकसित होने का जोखिम हो सकता है। आइए इस बारे में जानते हैं।

बच्चों में भी लॉन्ग कोविड का खतरा
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यह सर्वविदित है कि कोरोना का संक्रमण और इसके बाद होने वाली लॉन्ग कोविड की समस्या गंभीर और जोखिम भरे लक्षणों को जन्म दे सकती है। वयस्कों के साथ बच्चों में भी इससे संबंधित खतरे देखे गए हैं।
यूके के एक रिपोर्ट के अनुसार यहां 87 हजार से अधिक बच्चे लॉन्ग कोविड की समस्या के शिकार हैं। एक रिपोर्ट में 12 वर्षीय लड़की के मामले का जिक्र मिलता है जो साल 2021 में कोरोना से ठीक होने के बाद दो साल से लॉन्ग कोविड की जटिलताओं का सामना कर रही है।

पोस्ट कोविड के कारण जटिलताएं
बच्ची की स्थिति समय के साथ खराब होती गई और उसे भोजन के लिए एक एनजी ट्यूब के उपयोग की भी जरूरत महसूस होने लगी। उसे अक्सर सिरदर्द, पेट की समस्याएं बनी रहती थीं और वजन तेजी से कम होता रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पाया कि लॉन्ग कोविड की समस्या के कारण उसकी हड्डियों पर भी असर देखा गया है।
डॉक्टर्स की कहना है कि पोस्ट कोविड की जटिलताओं का जोखिम लगभग सभी उम्र के लोगों में देखा जा रहा है, इससे बचाव के उपाय करते रहना बहुत जरूरी है।

लॉन्ग कोविड में हो रही हैं ऐसी समस्याएं
जून 2022 में प्रकाशित 80,071 बच्चों-किशोर पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार 25 फीसदी से अधिक लोगों में लॉन्ग कोविड की समस्या थी। जर्नल नेचर में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, रोगियों में सबसे ज्यादा मूड को प्रभावित करने वाली दिक्कतें (16%), थकान (10%) और नींद संबंधी विकार (9%) रिपोर्ट किए गए हैं।
बच्चों में थकान और सिरदर्द की समस्या पोस्ट कोविड सिंड्रोम में सबसे अधिक हो रही है, वहीं युवाओं में लॉन्ग कोविड के कारण सीने में दर्द, खांसी, चक्कर आने, मतली, पेट में दर्द, चिंता और मूड विकारों का खतरा भी हो सकता है।
