सर्दियां आते ही बदला खानपान, किचन में मिलेगा रोगों का निदान, ऐसे रखें अपना ख्याल

सर्दियां आते ही बाजारों में रेवड़ी, मूंगफली, गजक, गुड़-पट्टी, लड्डू आदि मुंह में पानी लाने वाले कई व्यंजनों की दुकानें सज जाती हैं। देश-विदेश के कई अध्ययनों में यह तथ्य सामने आया है कि सर्दियों में लोग अपेक्षाकृत अधिक खाते हैं। यूं तो सर्दियों में खाने के विकल्प बढ़ने से लोगों के चेहरों की खुशी भी बढ़ती है। लेकिन खानपान में अत्यधिक लापरवाही बीमारियों का खतरा भी पैदा करने लगती है। इसलिए जरूरी है कि खाने में पौष्टिकता का ख्याल रखा जाए।
वैद्य अच्युत कुमार त्रिपाठी के अनुसार, सर्दियों में क्या खा रहे हैं, कितना खा रहें, आपकी आयु क्या है, इन बातों पर गंभीरता से सोच विचार करें। प्रकृति ने जो भोजन मूल रूप से मौसम अनुसार बनाया है, वह हमेशा उपयोगी होता है। इसलिए हर मौसम में मौसमीय खाद्य पदार्थों को लेने की सलाह दी जाती है। लेकिन आजकल हर चीज हर मौसम में उपलब्ध है, जो प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ती है और नुकसान देती है, जैसे इस वक्त मिलने वाले तरबूज, खरबूजा यदि आप खाते हैं तो वह नुकसान ही करेंगे, जबकि गर्मियों में यह बेहद लाभदायक हैं। सर्दियों में घर में बना सब्जियों का सूप सेंधा नमक और काली मिर्च डालकर पिएं यह स्वास्ध्यवर्धक रहता है। वहीं, उष्ण पदार्थों को खाने में अधिक शामिल करें। यदि बार बार सांस फूलती है या सर्दी जल्दी लगती है तो तले मुनक्का का सेवन लाभदायक रहता है वैसे मुनक्के को दूध में डालकर पीने से भी कई फायदे मिलते हैं।
वहीं, जिन्हें सर्दी जल्दी लगती है या इम्युनिटी कमजोर है उन्हें दूध में हल्दी डालकर हर रात्रि सेवन करना चाहिए। साथ ही सोठ, तिल, गरम मसाला आदि का सेवन भी इस मौसम में फायदेमंद रहता है। इस मौसम में नारियल के तेल में कपूर मिलाकर इस्तेमाल करने से एलर्जी से बचाव होता है। वहीं, मूंगफली सर्दियों में सबसे खास खाद्य उत्पाद है, जो आपको कई समस्याओं से बचाकर स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मदद देती है। इसमें कई गुणकारी तत्व मौजूद रहते हैं। हमारे किचन में मौजूद चीजों का यदि हम बेहतर इस्तेमाल करते हैं तो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर रोगों की आशंका काफी हद तक कम की जा सकती है। यदि आपको छाछ पीना पसंद है तो सर्दियों में जीरे का तड़का लगाकर दोपहर में ही छाछ पीएं शाम या रात में छाछ नुकसान करती है।
मौसम के अनुरूप करें मसालों का इस्तेमाल
प्रतिकूल खानपान यानी ठंडा गर्म साथ साथ शरीर के लिए विष जैसा काम करता है जैसे कुल्फी खाने के कुछ ही देर बाद चाय पी लेना या सूप पीकर तुंरत कुछ ठंडा खाना शरीर को बीमार बनाता है। सर्दियों में फल व जूस सुबह के समय ही लेने चाहिए, रात में यह नुकसान कर सकते हैं। वहीं रात के समय उरद की दाल, चावल एवं दही विष के समान है। वहीं मौसम के अनुरूप मसालों का इस्तेमाल भी हमें रोगों से बचाता है। गरम मसाला में एंटी वायरल तत्व होते हैं। वहीं अदरक लहसुन की चटनी हृदय रोगियों के लिए वरदान है। साथ ही सर्दियों में तुलसी का काढ़ा अकसर पीते रहना चाहिए।
तला-भुना व मीठा खाने से बचें
वहीं, डायटीशियन डॉ. खुशबू कहती हैं कि खाना हर मौसम में बहुत संयमित तरीके से लेना चाहिए। सामान्य परिस्थितियों में अपनी पसंद की चीजों से पूरी तरह परहेज की जरूरत नहीं है लेकिन किसी भी चीज की अधिकता नुकसान कर सकती है। जैसे गजक, चिक्की व हलवा आदि अत्यधिक खाने से डायबिटीज का खतरा रहता है। हर मौसम में मौसमीय फल व सब्जियों का अधिक प्रयोग किया जाना बेहतर रहता है। सर्दियों में लोग अकसर तला भुना व मीठा ज्यादा खाने लगते हैं जो उनकी सेहत पर विपरीत असर डालता है। वहीं, सर्दियों में कई लोग पानी पीना बेहद कम करते हैं जो कई बीमारियों का कारण बनता है। सर्दियों में हृदय व सांस के रोग भी अधिक होते हैं इसका ध्यान भी डाइट निर्धारित करते समय रखना चाहिए। सर्दियों में कई पत्तेदार सब्जियां बाजार में आती हैं जो काफी पौष्टिक होती हैं उन्हें डाइट में शामिल कर सकते हैं।
लुभाते हैं सस्ते टिकाऊ स्नैक्स
सेक्टर 18 में दुकान संचालक रमेश कहते हैं कि सर्दियों में अकसर लोगों को ज्यादा समय तक टिकने वाले खाद्य पदार्थ पसंद आते हैं जो आराम से बिस्तर में बैठे बैठे वह जब जी चाहे खा सकें। इसमें नमकीन और मीठा दोनों शामिल रहता है। लोग वह चीजें पसंद करते हैं जो बजट में हो और ज्यादा समय तक खराब ना हों। करीब 100 रुपए में आधा किलो मूंगफली या ढ़ाई सौ ग्राम चिक्की आ जाती है। कई लोग तिल खरीदकर घरों में लड्डू बनाते हैं सफेद तिल करीब 200 रुपए में आधा किलों व काले तिल डेढ़ सौ में आधा किलों मिल जाते हैं जिन्हें गुड़ में मिलाकर घरों पर आसान टिकाऊ स्नैक्स तैयार हो जाता है।
परिश्रम कम डाइट ज्यादा बनाता है बीमार
फिजीशियन डॉ. एस चक्रवर्ती कहते हैं कि हर मौसम में हल्की फुल्की एक्सरसाइज बेहद जरूरी है। लेकिन सर्दियों में लोग एक्सरसाइज से बचने लगते हैं। वहीं बैठे बैठे दिन काटने के लिए कुछ ना कुछ खाते पीते रहते हैं। शारीरिक परिश्रम घटने व खानपान बढ़ने से मोटापे सहित कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वजन नियंत्रित रखना स्वस्थ शरीर की पहली शर्त है।
